त्रिपुरा: BJP की जीत के बाद कई जिलों में हिंसा, लेनिन की मूर्ति बुलडोजर से गिराई गई
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त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद वहां से हिंसा की खबरें आ रही हैं। राज्य में तोड़फोड़ के बाद अब वामपंथी स्मारकों को पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। खबरों के अनुसार भाजपा समर्थकों ने साउथ त्रिपुरा डिस्ट्रिक्ट के बेलोनिया सबडिविज़न में रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति पर बुलडोजर चला कर उसे तहस नहस कर दिया है। ये मूर्ती पिछले पांच साल से यहां खड़ी थी। इस घटना के बाद वामपंथी दल और कैडर नाराज है।
व्लादिमीर लेनिन मूर्ति को नष्ट करते समय वह लोग भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। त्रिपुरा के एसपी कमल चक्रवर्ती ने जानकारी दी कि सोमवार दोपहर 3.30 बजे के आसपास भाजपा समर्थकों ने बुलडोजर की मदद से चौराहे पर लगी लेनिन की मूर्ति ढहा दी गई है। एसपी के अनुसार इस दौरान बुलडोजर के ड्राइवर शराब पिलाई हुई थी। फिलहाल बुलडोजर ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है और बुलडोजर को सीज कर दिया है।
बता दें कि भाजपा की जीत के बाद से त्रिपुरा में कई जगहों पर तोड़फोड़ और मारपीट की खबरें आ रही हैं। सीपीआइ(एम) का आरोप है कि जीत के बाद भाजपा-आइपीएफटी कार्यकर्ता हिंसा पर उतर आएं हैं। उनका कहना है कि यह लोग न केवल तोड़फोड़ कर रहे हैं बल्कि कार्यकर्ताओं के घर को भी निशाना बना रहे हैं। सीपीआइ(एम) ने वामपंथी कैडरों और दफ्तरों पर हुए हमलों की लिस्ट जारी की है और कहा पीएम मोदी और भाजपा उनके कार्यकर्ताओं को डरा रहे हैं। साथ ही यह भी कहा है कि ये हिंसक घटनाएं घटनाएं प्रधानमंत्री द्वारा बीजेपी को लोकतांत्रिक बताने के दावों का मजाक है। वहीं बीजेपी ने इसे कम्युनिस्टों के खिलाफ लोगों के गुस्सा बताया है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिए जांच के आदेश
त्रिपुरा हिंसा मामले में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यपाल तथागत रॉय और डीजीपी एके शुक्ला से बात की है। उन्होंने नई सरकार बनने तक हिंसा की जांच करने के लिए कहा है। उन्होंने त्रिपुरा की मौजूदा स्थिति और हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया है।
जानिए कौन हैं लेनिन
व्लादिमीर इलीइच लेनिन का असली नाम ‘उल्यानोव’ था। लेनिन के पिता विद्यालयों के निरीक्षक थे। ग्रेजुएट होने के बाद भी लेनिन ने 1887 में कजान विश्वविद्यालय के विधि विभाग में एडमिशन लिया, लेकिन विद्यार्थियों के क्रांतिकारी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के कारण विश्वविद्यालय ने निष्कासित कर दिया। साल 1889 में उन्होंने स्थानीय मार्क्सवादियों का संगठन बनाया। उसके बाद उन्होंने वकालात शुरू की और मार्क्सवादियों के नेता बने। अपनी क्रांति के दौरान उन्हें जेल में भी जाना पड़ा और उन्होंने कई किताबें भी लिखी। मार्क्सवादी विचारक लेनिन के नेतृत्व में 1917 में रूस की क्रांति हुई थी।
रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक पार्टी) के संस्थापक लेनिन के मार्क्सवादी विचारों को ‘लेनिनवाद’ के नाम से जाना जाता है। रूस के इतिहास में लेनिन का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।यहां तक कि विश्व की राजनीति को उन्होंने एक नया रंग दिया। रूस को क्रांति का रास्ता दिखाकर सत्ता तक पहुंचाने में व्लादिमीर लेनिन का अहम योगदान था। उस दौरान लोगों के दिल में विश्वयुद्ध को लेकर बहुत गुस्सा था। उसके बाद बोलशेविक खेमे के लोग सरकार के खिलाफ उतर आए। धीरे-धीरे बोलशेविकों ने सरकारी इमारतों में कब्जा करना शुरू कर दिया। इस तरह से सत्ता में बोलशेविक काबिज हो गए। ये रूसी क्रांति थी, जिसने रूस का भविष्य बदल दिया और बोलशेविक सत्ता में आए और व्लादिमीर लेनिन सत्ता में आए।
भाजपा ने 25 साल पुरानी सरकार को दी करारी शिकस्त
बता दें पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खुशखबरी लेकर आए। वामपंथ का गढ़ माने जाने वाले राज्य त्रिपुरा में 25 साल पुरानी और मजबूत सरकार को भाजपा ने करारी शिकस्त दी। त्रिपुरा में कुल 59 सीट हैं जिसमें से करीब एक तिहाई सीट से ज्यादा (40) पर जीत दर्ज की। वहीं नागालैंड में भाजपा और एनपीएफ को 29-29 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस नागालैंड में खाता खोलने में भी नकामयाब रही। मेघालय में कांग्रेस को 21, भाजपा को 2 और एनपीपी को 19 सीटें मिली हैं।