अमेरिका दिखा रहा आंख! चीन है परेशान तो भारत की भी बढ़ी हुई है चिंता, कैसे होगा समाधान
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अमेरिका ने भारत और चीन समेत दुनिया के कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका संग ट्रेड वार में चीन समेत भारत को भी मार झेलनी पड़ रही है। इसका असर हर जगह दिखाई दे रहा है। चीन की बात करें तो काफी लंबे समय से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को ट्रेड वार खत्म करने की हिदायत या यूं कहें की चेतावनी दे रखी है। इसके अलावा ट्रंप को चीन की वन चाइना पॉलिसी पर लंबे समय से नाराजगी है। इसको लेकर भी वह कई बार खुलेतौर पर चीन को आगाह कर चुका है। अब ट्रंप ने साफ कर दिया है कि यदि चीन ट्रेड वार को खत्म करने का कोई जरिया नहीं तलाशता है तो इस शुक्रवार से चीनी उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया जाएगा। ट्रंप के इस ट्वीट का असर चीन ही नहीं एशिया और यूरोप के शेयर बाजारों तक दिखाई दिया है।
महज ट्रेड वार नहीं चिंता का विषय
जहां तक भारत की बात है तो चिंता महज ट्रेड वार की ही नहीं है बल्कि कच्चे तेल सौदे को लेकर भी बनी हुई है। दरअसल, अमेरिका ईरान से तेल खरीद को लेकर प्रतिबंध लगा चुका है। ऐसे में भारत का ईरान से तेल खरीदना नामुकिन है। लिहाजा भारत की निगाहें सऊदी अरब, इराक और अमेरिका पर लगी थीं। अमेरिका खुद भी चाहता है कि भारत से तेल का सौदा हो। लेकिन, अमेरिका ने भारत को सस्ती दर पर तेल बेचने से हाथ खींच लिए हैं। दिल्ली आए अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा है कि अमेरिका भारत को सस्ते तेल की बिक्री का भरोसा नहीं दे सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिकी कारोबार निजी कंपनियों के पास है और इसमें सरकार कुछ नहीं कर सकती है। तेल को लेकर परेशानी केवल भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि चीन के साथ भी यही समस्या है। आपको बता दें कि ईरान से तेल खरीद के मामले में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर आता था। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। तेल को लेकर भारत और चीन दोनों ही दूसरे देशों या तेल उत्पादकों की तलाश कर रहे हैं।
भारत नहीं जीएसपी में शामिल
यहां पर ये भी ध्यान रखना होगा कि अमेरिका ने भारत से जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (GSP) कार्यक्रम के लाभार्थी का दर्जा वापस ले लिया है। इसकी वजह से भारत को नुकसान उठाना पड़ा है। अमेरिका के GSP कार्यक्रम में शामिल देशों को विशेष तरजीह दी जाती है और अमेरिका इन देशों से एक तय राशि के आयात पर कोई शुल्क नहीं लेता। GSP कार्यक्रम के तहत भारत को 5.6 अरब डॉलर (लगभग 40 हजार करोड़ रुपए) के निर्यात पर छूट मिलती थी। भारत GSP का सबसे बड़ा लाभार्थी देश था। तेल के अलावा ट्रेड वार की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले दिनों ही कहा था कि जब हम भारत को हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल भेजते हैं तो उस पर 100% शुल्क लगाया जाता है। लेकिन जब भारत हमें मोटरसाइकिल का निर्यात करता है तो हम कुछ भी शुल्क नहीं लगाते हैं। लिहाजा समय आ गया है कि भारतीय उत्पाद पर अमेरिका भी बराबर का शुल्क लगाएगा। आपको यहां पर ये भी बता दें कि अमेरिका की इस नाराजगी के बाद भारत ने अमेरिकी उत्पाद पर शुल्क 50 फीसद घटा दिया था। हालांकि, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु और अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस के बीच हुई बैठक के बाद दोनों देश व्यापार मुद्दों को सुलझाने के लिए नियमित रूप से वार्ता करने पर सहमत हुए हैं।
चीन के उत्पाद पर शुल्क दोगुना करने की धमकी
अमेरिकी चीन ट्रेड वार की बात करें तो बीते दस माह से चीन हाईटेक उपकरणों पर 25 फीसदी और 200 अरब डॉलर के अन्य उत्पादों पर 10 फीसदी आयात शुल्क चुका रहा है। ट्रंप ने धमकी दी है कि यदि ट्रेड वार खत्म नहीं होता है तो शुल्क को दोगुना कर दिया जाएगा। 325 अरब डॉलर के अन्य चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगाया जा सकता है। ट्रंप ने यह भी कहा है कि चीन से होने वाले व्यापार पर अरबों डॉलर का नुकसान अमेरिका को झेलना पड़ रहा है। इतना ही नहीं द्विपक्षीय व्यापार में यह नुकसान 600 से 800 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अब ऐसा नहीं होगा।
ट्रेड वार से अमेरिका को हजारों करोड़ का नुकसान
पिछले दिनों ही अमेरिका के नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र था कि 2018 में ट्रेड वार की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लगभग 54 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। यहां पर एक चीज ध्यान में रखने वाली जरूर है। वो ये कि अमेरिका-चीन के बीच छिड़े ट्रेडवार का फायदा भारत को जरूर हो रहा है। जून-नवंबर 2017 की अवधि में भारत से चीन को 637.40 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ था। लेकिन अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ने के बाद जून-नवंबर 2018 में चीन को होने वाला निर्यात बढ़कर 846.40 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया।