सियासत: रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा दिल्ली गए, अमित शाह से होगी बात

रालोसपा प्रमुख केन्द्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा सोमवार की शाम दिल्ली गये। उम्मीद है कि लोकसभा सीटों को लेकर जल्द ही उनकी बात मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से हो सकती है।
कुशवाहा चार दिन की बिहार यात्रा के बाद दिल्ली वापस लौटे। शाम छह बजे की फ्लाइट से दिल्ली जाने के लिए हवाई अड्डा पहुंचे कुशवाहा ने कहा कि उनकी बात भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से होगी। लेकिन यह भी कहा कि इसके लिए अभी तारीख तय नहीं है। लिहाजा यह कहना सही नहीं है कि रविवार को ही उनसे बात होगी।
कुशवाहा ने कहा कि दो दिन पहले शाह का फोन आया था। उन्होंने बात करने के लिए दिल्ली बुलाया। लेकिन तब मेरा यहां कार्यक्रम लगा हुआ था। लिहाजा मैंने सोमवार को दिल्ली आने की बात शाह को बता दी थी। अब आज जा रहा हूं। उम्मीद है कि जल्द बात होगी।
लोजपा व रालोसपा के पेंच सुलझने के बाद ही सीट बंटवारा
बिहार में एनडीए में भले ही भाजपा और जदयू ने बराबर बराबर सीटों पर लड़ने का फैसला किया हो, लेकिन पूरा बंटवारा लोजपा व रालोसपा के बीच फंसे पेंच के सुलझने के बाद ही हो सकेगा। लोजपा लोकसभा सीटों पर अपने पुराने दावे के साथ एक राज्यसभा सीट की भी मांग कर रही है। वहीं रालोसपा भी कम से कम तीन सीटों पर अपना दावा बरकरार रखे हुए है।
बिहार में विरोधी महागठबंधन को तोड़ने के बाद भाजपा ने जदयू को साथ रखने के लिए अपनी आधा दर्जन सीटें छोड़ने का फैसला किया है। उसने अपने दोनों सहयोगी दलों से भी कम से कम एक एक सीट छोड़ने का आग्रह किया है। लोजपा साफ कर चुकी है कि वह एनडीए में ही रहेगी, लेकिन वह एक राज्यसभा सीट भी मांग रही है। सूत्रों के अनुसार लोजपा का कहना है कि उसके नेता रामविलास पासवान को राज्यसभा में लाया जाए। पासवान अभी लोकसभा सदस्य हैं। एक फार्मूला यह भी है कि अगर लोजपा को राज्यसभा सीट मिलती है तो वह चार लोकसभा सीटों पर भी तैयार हो सकती है।
हालांकि रालोसपा की स्थिति डंवाडोल है। रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाह जल्द ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेंगे। रालोसपा नेता के राजद नेताओं से मेल मुलाकात और उनकी पार्टी के नेताओं के बयान से भाजपा व रालोसपा में भरोसा कम हुआ है। रालोसपा के साथ अभी दो सांसद है और भाजपा यह दोनों सीटें उसे देने को तैयार है। हालांकि उसका दावा कम से कम तीन सीटों पर है, क्योंकि पिछली बार उसके तीन सांसद चुने गए थे। अगर रालोसपा गठबंधन से बाहर जाती है को उसका लाभ लोजपा को मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार भाजपा रालोसपा को साथ रखना चाहती है, ताकि राज्य में जातीय समीकरण एनडीए के पक्ष में बना रहे, लेकिन वह उसकी कीमत पर अपने दोनों अन्य सहयोगियों जदयू व लोजपा के हिस्से को कम नहीं करेगी।