देश में आज धार्मिक स्वतन्त्रता की तिथि, ७३ वर्षों बाद सबसे बड़ा दिवस
अयोध्या । छः सदियों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे सनातनियों के आराध्य श्रीराम की पावन जन्मभूमि पर आज मन्दिर निर्माण की नींव रखने जा रही है। आज की तिथि देश के इतिहास की एक अतिमहत्वपूर्ण तिथि भी होगी, जिस दिन स्वयम् भगवान श्रीराम के साथ न्याय होगा। आम जनमानस को आज के दिन का महत्व जानने के लिए इतिहास अवश्य पढ़ना चाहिए।
आज से लगभग छः सौ वर्ष पूर्व, विदेशी आक्रमणकारियों ने अपनी दमनकारी नीति के चलते देश की जनता की धार्मिक स्वतन्त्रता पर घात करते हुए कई मन्दिरों का अस्तित्व छीना, जिसमें मुख्यरूप से अयोध्या का श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर है। बाबर जब शासन में आया, उसकी सहमति पाकर मीर बाक़ी ने जन्मभूमि क्षेत्र का दैवीय महत्व जानकर कर वहाँ आक्रमण कर दिया। जिसमें वहाँ के चारों द्वारों पर खड़े चार पुजारियों को तोप से उड़ा दिया गया। पड़ोस के राजाओं ने युद्ध किया तो उन्हें भी उसके सामने बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। बाबर की पीढ़ियों पश्चात्, अंग्रेजों ने इस मामले को ज़्यादा तूल ना देते हुए यथास्थिति बरकरार रखी। अयोध्या पर पहला न्यायालय वाद सन १८८५ में किया गया।
स्वतन्त्रता पश्चात्, २२ दिसम्बर, १९४९ की रात्रि को शोर हुआ की भगवान प्रगट हुए। प्रात: मन्दिर में मूर्तियों की पूजा-अर्चना हुई। उस समय की केन्द्र सरकार के पास यह मुद्दा वायु से भी तेज गति से पहुँचा। जिस पर सरकार ने तत्कालीन फ़ैज़ाबाद जनपद के ज़िलाधिकारी से संज्ञान लिया और यथास्थिति जारी कर दी। परन्तु, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अभियान के श्री परमहंस जी व अन्य ने मूर्तियों के पूजन की बात रखी तो केन्द्र की देखरेख में पुजारी को अनुमति दी गई। आंदोलन में सरकार द्वारा चलाई गई गोलियों में कई हज़ार रामप्रेमी बुरी तरह मारे गए।
लगभग ३० वर्ष पूर्व, रामभक्तों ने आक्रमकारियों द्वारा जबरन ज़ब्त की गई भूमि पर बने ढाँचे को गिरा दिया। न्यायालय में वाद हुआ, यथास्थिति लागू हुई। भगवान स्वयम् तब से अभी कुछ महीनों पहले तक तृपाल के नीचे वर्षभर के मौसम झेलते रहे। तृपाल फट जाने पर माननीय न्यायालय के आदेश से बदला जाता था। जनपद व उच्च न्यायालय के निर्णय में राम जन्मभूमि के अस्तित्व को स्वीकारा तो गया पर अधिकारों पर विवाद रहा। सन २०१९ के अन्त में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सदियों से विवादित श्रीरामलला विराजमान का अधिकार घोषित करते हुए, ट्रस्ट बना कर निर्माण करने का निर्णय किया। साथ ही मुस्लिम पक्षकारों की भावनाओं को भी ध्यान में रखते हुए, मस्जिद निर्माण की भूमि हेतु सरकार को आदेश दिया।
उक्त फलस्वरूप, आज दोपहर १२:४४ पर सत्य की विजय करते हुए, श्रीरामलला की जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण की शुरुआत होगी। ऐसे में आज की ऐतिहासिक तिथि किसी धार्मिक स्वतन्त्रता से कम नहीं होगी। जितना कठिन गाँधीवादी नीति से देश को आज़ादी दिलाना रहा होगा, उससे कहीं ज़्यादा कठिन व लगभग नामुमकिन आज भूमिपूजन का दिन देखना था। आज सिद्ध होता है कि सत्य परेशान तो हो सकता है, परन्तु परास्त नहीं। सत्यमेव जयते!
स्वतन्त्र पत्रकार अनुज पाण्डेय