भविष्य पर भारी पड़ रहा कोरोना: आरयूएचएस परीक्षा-भर्ती के 746 केस कोर्ट में, हजारों छात्रों का भविष्य लॉक करियर डाउन
कोरोनाकाल छात्रों के भविष्य पर भारी पड़़ता दिख रहा है। अदालतों में आरयूएचएस के भर्ती, मान्यता और परीक्षा के करीब 746 मामले पेंडिंग हैं और इनका निपटारा न होने से हजारों छात्रों का भविष्य ‘लॉक’ हो गया है। यह मसले मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग, फार्मेसी, फिजियोथैरेपी और पैरामेडिकल परीक्षा, कॉलेजों की मान्यता, भर्ती और सीट आवंटन के हैं। भास्कर ने पड़ताल की तो आया पहले कोरोना फिर लॉकडाउन और अब तीन माह से लीगल एडवायजर के नहीं होने से संकट पैदा हो गया है।
2019 में 31 दिसंबर तक 625 प्रकरण लंबित थे। वर्ष 2020 में जनवरी से दिसंबर तक 746 मामले लंबित हो गए। 195 नए प्रकरण आए। एक साल में निस्तारित 35 में से 31 विश्वविद्यालय के पक्ष में निस्तारित किए हैं। आरयूएचएस का दावा है कि लंबित प्रकरणों में विश्वविद्यालय की ओर से पैरवी के लिए एडवोकेट एवं प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति कर दी है।
निरीक्षण में कमियां मिलीं, फिर भी समय पर पूरी नहींपरीक्षा, संस्थानों की मान्यता, सीटों का आवंटन जैसे ज्यादा मामले पेंडिंग हैं। लॉयर का पैनल बना रखा है। पहले लीगल एडवायजर था, लेकिन ट्रांसफर हो गया है। अब दुबारा से नियुक्ति के लिए सरकार को लिखा है। हमारी कोशिश है कि छात्रों क हित में जो भी उसे जल्द किया जाए।-कालूराम जाट, रजिस्ट्रार, आरयूएचएस
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के डीन (पैरामेडिकल) डॉ.अरुण चौगले का कहना है कि नर्सिंग, फार्मेसी कॉलेजों के निरीक्षण के दौरान कमी पाए जाने पर संस्थानों को कमियां पूरी करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था। फिर भी समय पर कमियों की पूर्ति नहीं करने पर उनके खिलाफ आरयूएचएस प्रावधानों के तहत कार्यवाही की है। फिर भी संस्थान वाले कोर्ट में चले जाते, वो उनका अधिकार है। उनका जवाब कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। कोर्ट के आदेशों की पालना की जाएगी।