चाइना को चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की कड़ी चेतावनी
यह हैरत की बात है कि पड़ोसी मुल्क चाइना भारत के बार-बार समझाने के बावजूद अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है तथा तमाम कूटनीतिक एवं सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता के बावजूद वह सीमा विवाद को लेकर भारत को उलझा रहा है। चाइना की इस पॉलिसी को देखते हुए भारत के चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने उसे स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दे दी है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बहाल करने के लिए दोनों देशों के बीच चल रही सैन्य और कूटनीतिक वार्ता का यदि कोई पॉजिटिव परिणाम नहीं निकलता तो भारत इस मुद्दे को हल करने के लिए सैन्य विकल्पों के इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार है। थल सेना प्रमुख मुकुन्द नरवणे भी कुछ इसी तरह का संकेत दे चुके हैं।
दरअसल, सीमा पर इस वक्त जो हालात नजर आ रहे हैं, उससे यह तो कतई नहीं लगता कि चाइना आसानी से मान जायेगा। हकीकत तो यह है कि पूर्व में अपनी विस्तारवादी नीति के तहत वह जिस प्रकार तरह-तरह की चालें चलता रहा है, उन्हीं का इस्तेमाल वह इस बार भी सीमा पर कर रहा है। पूर्वी लद्दाख में भी वह सीमा विवाद के मुद्दे को लेकर भारत को पूरी तरह उलझाने के फिराक में है, ताकि इस विवाद में समझौते का कोई आसान रास्ता न निकले और वह अपनी छल ताकत के बल पर वह अपनी रणनीति को अंजाम देने में कामयाब हो जाये।
चाइना ने अपनी विस्तारवादी नीति के तहत न केवल भारत, बल्कि नेपाल तथा भूटान जैसे तमाम छोटे देशों के भू भाग पर कब्जा कर रखा है तथा इस वक्त कोरोना काल में भी वह अपनी विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा है। वह भारत की सज्जनता का भी पूरा लाभ उठाना चाहता है। ऐसी स्थिति में जरूरत पड़ने पर चाइना के सैनिकों को खदेड़ने की भारतीय सेना का पूर्ण रूप से तैयार रहना उचित है। हालांकि, भारत नहीं चाहता कि उसकी शांति प्रिय नीति पर कोई आंच उठे। बेहतर यही होगा कि युद्ध के बजाय चाइना को कूटनीतिक मोर्चे पर शिकस्त दी जाये, ताकि वह अपनी हरकतों से बाज आये।
RAHUL SINGH CHOUDHARY