कैलाश विजयवर्गीय की ‘घर वापसी’ की तैयारी में BJP, शिवराज के लिए नई चुनौती
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मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय की ‘घर वापसी’ हो सकती है. नंद कुमार चौहान, मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के रूप में अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. बीजेपी का केंद्रीय संगठन का एक बड़ा फेरबदल करने की दिशा में है. ऐसे में पार्टी केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश में बीजेपी की कमान कैलाश विजयवर्गीय के हाथों में सौंप सकती है.
बीजेपी सूत्रों की माने तो मौजूदा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी के मध्य प्रदेश इकाई का नेतृत्व करने के लिए कहा गया है. मौजूदा समय में विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल में पार्टी का काम देख रहे हैं. वो मध्य प्रदेश के इंदौर से हैं और शिवराज के मंत्रिमंडल में काफी अहम मंत्री रहे हैं. लेकिन शिवराज और विजयवर्गीय के बीच छत्तीस का आकड़ा रहा है और दोनों के रिश्ते जगजाहिर हैं.
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक कैलाश विजयवर्गीय को मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इस संबंध में विजयवर्गीय कहते हैं कि मुझें इसकी जानकारी नहीं है, ये हवा में सिर्फ अटकलें हैं. जबकि कहा जा रहा है कि विजयवर्गीय के संभावित घर वापसी पर शुक्रवार को उज्जैन में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की बैठक में चर्चा हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शामिल थे.
मध्य प्रदेश बीजेपी के एक वर्ग का मानना है कि विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री के रूप में चौहान को बदलने की महत्वाकांक्षा को जन्म दिया. विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं. चौहान के करीबी सूत्र भी स्वीकार करते हैं कि यदि विजयवर्गीय मध्य प्रदेश की राजनीति में लौटे तो मुख्यमंत्री के नेतृत्व को चुनौती खड़ी होगी.
बता दें कि विजयवर्गीय को मुख्यमंत्री चौहान की तरह चुनौती देने वाले नेता के रूप में देखा जाता है. वो चौहान मंत्रिमंडल में एक वरिष्ठ मंत्री रहते हुए मुखर आलोचक थे. वहीं विजयवर्गीय बीजेपी आलाकमान के करीबी माने जाते हैं. 2015 में विजयवर्गीय ने चौहान के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर अमित शाह की राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बने और उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया.
चौहान की ग्रॉफ में आई है गिरावट
हाल के चुनावों के आंकड़ों और किसानों के आंदालोन के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ग्रॉफ गिरता हुआ माना जा रहा है. राज्य के उपचुनाव में बीजेपी की हार शिवराज सरकार के लिए बड़ा झटका था. इसके अलावा किसानों के आंदोलन के बाद जो जून 2017 में आठ किसानों की मौत हुई. उससे राज्य के किसान नाराज हैं. इसके अलावा शिवराज के कुछ मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों ने पार्टी को राज्य में कमजोर किया है.
बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018 के आखिर में होने वाले मध्य प्रदेश के चुनाव में किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. इसीलिए पार्टी ने राज्य में कैलाश विजयवर्गीय जैसे तेजतर्रार नेता को पार्टी को पार्टी की कमान सौंप सकती है.