कमलनाथ सरकार का बड़ा फैसला- आमदनी बढ़ाने के लिए किया आबकारी नीति में बदलाव

भोपाल: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव करते हुए राज्य में शराब की और ज्यादा दुकानें खोलने की अनुमति दे दी है. राज्य सरकार द्वारा आबकारी नीति में किए गए बदलाव के बाद शहरी क्षत्रों में 5 किलोमीटर के दायरे में अगर कोई शराब की दुकान नहीं है तो उस इलाके में शराब की उप दुकान खोलने की इजाजत मिल जाएगी.
ग्रामीण इलाकों में 10 किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकान नहीं होने पर नई दुकान खोलने की इजाजत मिल जाएगी. हालांकि, शराब की उप दुकान खोलने के लिए ठेकेदार को अतिरिक्त राशि देनी होगी. नई नीति के अनुसार ठेकेदारों को 2 करोड़ रुपए तक के ठेके पर उप दुकान खोलने पर 15% अतिरिक्त राशि देनी होगी.
वहीं, 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपए तक के शराब ठेके पर 25% अतिरिक्त राशि देनी पड़ेगी, 5 करोड़ से ज्यादा की कीमत वाले ठेके पर शराब की दुकानें खोलने के लिए 25% से ज्यादा राशि देनी होगी. कमलनाथ सरकार ने यह प्रावधान साल 2019 की आबकारी नीति के लिए किया है, यानी 31 मार्च 2020 तक यह व्यवस्था प्रभावी रहेगी.
राज्य को शराब के नशे में डुबो देगा कमलनाथ सरकार का ये फैसला: शिवराज
कमलनाथ सरकार के इस फैसले के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मोर्चा खोल दिया है. शिवराज सिंह ने कहा कि इस फैसले से प्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या तीन गुना हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार का यह फैसला मध्य प्रदेश को शराब के नशे में डुबो देगा. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ सरकार के इस फैसले से मध्य प्रदेश में अपराध बढ़ेंगे.
उन्होंने कहा कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराध शराब के नशे में होते हैं. शिवराज सिंह ने कहा कि एक तरफ तो राज्य सरकार माफिया के खिलाफ अभियान चला रही है, वहीं दूसरी दूसरी तरफ प्रदेश को शराब माफियाओं के हवाले कर रही है. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश का खजाना भरने के लिए कमलनाथ सरकार ने यह फैसला लिया है.
उन्होंने इस फैसले को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की. शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को लेकर सीएम कमलनाथ को पत्र भी लिखा. शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘मुझे प्रदेश के भविष्य की चिंता है. माताओं, बहनों की चिंता है. हम राजनीतिक कारणों से इस फैसले का विरोध नहीं कर रहे हैं. हमें प्रदेश और लोगों की चिंता है इसलिए आबाकरी नीति में बदलाव का विरोध कर रहे हैं.’