शाह जमीन पर जोड़ रहे हैं कुनबा,कर्नाटक में चप्पे चप्पे पर लड़ाई की तैयारी
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नई दिल्ली। चुनाव के मुहाने पर खड़े कर्नाटक में कृषि ऋण माफी, महादायी से पेयजल और लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा जैसे मुद्दे भले ही उछाले गए हो, लेकिन यह मानकर चला जा सकता है कि जंग शायद छोटे छोटे समूहों में लड़ी जाएगी। खासकर भाजपा अध्यक्ष अध्यक्ष अमित शाह ने ऐसी ही रणनीति तैयार की है। सोमवार से वह दो दिन की कर्नाटक यात्रा पर हैं और पूरा ध्यान रैलियों की बजाय अलग अलग व्यवसाय व कृषि क्षेत्र के समूहों पर रखा गया है। जाहिर है कि भाजपा क्षेत्रवार और कुछ मायनों में व्यवसाय वार लोगों को संबोधित करने में जुटी है जो विधानसभा चुनाव में मायने रखते हैं।
माना जा रहा है कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह में कर्नाटक चुनाव की घोषणा हो जाएगी। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की ओर से पहले कर्नाटक का अलग झंडा और अगले दस दिन के अंदर लिंगायत को अलग धर्म देने जैसा संवेदनशील और राजनीतिक फैसला लेकर अपनी मंशा साफ कर दी है। वह हर पत्ता आजमाने को तैयार हैं। ऐसे में भाजपा के दो शीर्ष नेतृत्व अलग अलग मोर्चो पर पेशबंदी करेंगे।
पीएम रैली के जरिए तो शाह जमीनी स्तर पर करेंगे कार्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां सार्वजनिक रैली के जरिए जनता को संबोधित करेंगे वहीं शाह ने जमीनी स्तर पर कमान संभाल ली है। पार्टी अंदरूनी स्तर पर भी पूरे सामंजस्य के साथ काम करे इसकी चिंता भी होगी और कोई वर्ग यह महसूस न करे कि उनकी न सुनी गई इसका इंतजाम भी होगा। शाह की यात्रा कुछ इसी अंदाज में तय की गई है। इस दो दिन की यात्रा में वह जहां दो मठ जाएंगे और दो धर्मगुरू से मिलेंगे वहीं नारियल और सुपाड़ी उत्पादन करने वाले समूहों से भी अलग अलग बैठक होगी। व्यापारियों के साथ अलग से बैठक रखी गई है।
सूत्र बताते हैं कि ऐसे ही छोटे छोटे समूहों में हर वर्ग से मुलाकात का क्रम चलेगा ताकि सिद्धरमैया के कथित कन्नड़ गौरव के प्रयास को रोका जा सके। बल्कि कांग्रेस को भी इसी मोर्चे पर लाने की कोशिश होगी। ध्यान रहे कि पिछले एक साल मे भाजपा का ध्यान इसी मोर्चे पर रहा है। खुद शाह जहां पिछले दौरों में अलग अलग हिस्सों में इसी तरह की बैठकें करते रहे हैं। वहीं भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार येद्दयुरप्पा डेढ साल में दो बार पूरे कर्नाटक की दौरा कर चुके हैं। माना जा रहा है कि चुनाव घोषणा के बाद भाजपा की ओर से कृषि ऋण माफी जैसी योजना को लेकर भी बड़े वादे किए जाएंगे।
अमित शाह रखे हुए हैं बारीकी से नजर
बहरहाल संगठन के स्तर पर भी लड़ाई देखने को मिल सकती है। एक तरफ जहां कांग्रेस के अधिकतर वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया से खिंचाव महसूस करते हैं और उनके कुछ फैसलों को लेकर नाराज भी दिखते हैं। वहीं शाह येद्दयुरप्पा और वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा के बीच संबंधों को और मधुर बनाने में जुटे हैं। बताते हैं कि सोमवार को शिमोगा में शाह ईश्वरप्पा के आवास पर रात का खाना खाएंगे और साथ में येद्दयुरप्पा होंगे।
ध्यान रहे कि शिमोगा येद्दयुरप्पा की सीट है और 2013 में उनके पार्टी छोड़ने के बाद ईश्वरप्पा वहां से चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे। ईश्वरप्पा भी उसी पिछड़े समुदाय से आते हैं जिससे मुख्यमंत्री सिद्धरमैया हैं। पिछले महीनों मे ईश्वरप्पा येद्दयुरप्पा के खिलाफ बयान भी देते रहे थे। शाह की चेतावनी के बाद हालांकि बयानबाजी तो बंद है लेकिन माना जा रहा है कि तनाव बरकरार है। शाह अपने दौरे में उसे भी दुरुस्त करेंगे।