ब्याज दरों को लेकर रिजर्व बैंक अगले हफ्ते ले सकता है बड़ा फैसला
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक होने वाली है। इससे पहले ब्रिटेन की एक ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अतिरिक्त नकदी को सोखने के लिए रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकती है। हालांकि रेपो दर, जिस पर केंद्रीय बैंक उधार देता है, में यथास्थिति बनी रह सकती है।
बार्कलेज के विश्लेषकों ने अगले सप्ताह होने वाली एमपीसी की बैठक से पहले कहा कि ओमिक्रोन स्वरूप के प्रकोप और अपेक्षाकृत अनुकूल मुद्रास्फीति के बीच रिजर्व बैंक के पास वृद्धि समर्थक मौद्रिक नीति को बनाए रखने के लिए गुंजाइश है। बार्कलेज ने रिपोर्ट में कहा कि केंद्रीय बैंक अपने नकदी प्रबंधन उपायों के मद्देनजर रिवर्स रेपो दर में 0.20-0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है।
इसके अलावा भी कई विश्लेषकों ने रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी का अनुमान जताया है। उनका कहना है कि सरकारी उधारी में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी के कारण रिजर्व बैंक नीति सामान्यीकरण की ओर बढ़ सकता है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने दिसंबर में हुई समीक्षा बैठक में लगातार नौवीं बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।
यही नहीं RBI ने रिवर्स रेपो को भी 3.35 प्रतिशत पर यथावत रखा था। सीमांत स्थायी सुविधा दर 4.25 प्रतिशत पर बरकरार। इसके अलावा जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 2021-22 में 9.5 प्रतिशत पर कायम रखा। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.0 प्रतिशत रहने की संभावना। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 17.2 प्रतिशत रहने का अनुमान।
आरबीआई ने कहा था कि खुदरा मुद्रास्फीति 2021-22 में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके अलावा पेट्रोल, डीजल पर करों में कटौती से मुद्रास्फीति में टिकाऊ आधार पर कमी आएगी। बैंकों के लिये विदेशों में स्थित शाखाओं में पूंजी लगाने, लाभ भेजने के नियम को सुगम बनाया गया है।