14th COP in Greater Noida: जावड़ेकर बोले, दुनिया के 77 फीसद बाघ भारत में, थोड़ी देर में पीएम मोदी का संबोधन
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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में चल रहे 12 दिवसीय कॉप -14 (Conference of Parties) कॉन्फ्रेंस की बैठक में भाग ले रहे हैं। थोड़ी ही देर में वह इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में दुनिया के 190 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। बैठक में धरती पर जलवायु परिवर्तन, नष्ट होती जैव विविधता, मरुस्थलीकरण जैसे बढ़ते खतरों से निपटने को लेकर मंथन हो रहा है।
इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत ने बढ़ते मरुस्थलीकरण से धरती को बचाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत ने उल्लेखनीय काम किया है। यही वजह है कि दुनिया के 77 फीसदी बाघ केवल भारत में हैं। भारत ने बढ़ती ग्लोबल वर्मिंग और प्रदूषण से निपटने के लिए टैक्स में छूट देकर ई-वाहनों को भी बढ़ावा दिया है। यदि इंसान के कर्मों से पर्यावरण परिवर्तन हुआ है तो उसी के सकारात्मक योगदान से ही उसमें सुधार भी लाया जाएगा। हमने टैक्स में छूट देकर इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रमोट करने का काम किया है। हमारी सरकार ने जल संरक्षण के लिए अलग से मंत्रालय का भी गठन किया है।
बता दें कि जावड़ेकर ने दो सितंबर से शुरू हुए इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया था। यह संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (United Nations Convention to Combat Desertification, UNCCD) के तहत अयोजित होने वाला 14वां सम्मेलन है। इसका कार्यक्रम का आयोजन दुनिया को बढ़ते मरुस्थलीकरण से बचाने की मुहिम के तहत किया गया है। इस बार भारत इस कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। इस सम्मेलन में अभी तक दुनिया भर के वैज्ञानिक अपने अपने मुल्कों की समस्याएं और उनके निपटने को लेकर उठाए गए कदमों को साझा कर चुके हैं।
बड़ा ऐलान कर सकते हैं मोदी
माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम के जरिए भारत पूरी दुनिया को मरुस्थलीकरण से निपटने को लेकर संदेश देगा। UNCCD के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थीव (Ibrahim Thiaw) ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं। हालांकि, इससे ज्यादा जानकारी देने से उन्होंने इनकार कर दिया। भारत में पहली बार बड़े स्तर पर यह कार्यक्रम हो रहा है। मौजूदा वक्त में भारत संयुक्त राष्ट्र की भूक्षरण के खिलाफ चल रहे अभियान का प्रमुख है। भारत साल 2020 तक इस सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इससे पहले चीन इस सम्मेलन की अध्यक्षता करता आया है। साल 2017 में भी चीन ने ही इस कार्यक्रम का आयोजन किया था।
सामने आएगा चुनौतियों से निपटने का रोडमैप
सूत्रों ने बताया कि 13 सितंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन से जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, मरुस्थलीकरण जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए रोडमैप सामने आ सकता है। इंसान की आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती भविष्य में भी सुरक्षित बनी रहे। भारत इसमें अग्रणी भूमिका निभा सकता है। यही वजह है कि कॉप-14 की मेजबानी भारत को सौंपी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में होने वाले इस उच्च स्तरीय सत्र पर दुनिया की निगाहें हैं। सम्मेलन की सुरक्षा में डेढ़ हजार जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। कॉन्फ्रेंस हॉल में यूएन सुरक्षा एजेंसी और एसपीजी के मुस्तैद जवानों की चप्पे-चप्पे पर नजर है।