प्रधानमंत्री का फोकस जेनरिक दवाओं पर, डॉक्टर लिख रहे सिर्फ ब्रांडेड दवा
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भोपाल। केन्द्र सरकार मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की बात कह रही है। उनसे जेनरिक दवाएं खरीदने के लिए कहा जा रहा है। इसके लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत देशभर में जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं। लेकिन, मरीजों को कोई राहत नहीं मिल रही। वजह, न तो डॉक्टर दवा का जेननिक नाम लिख रहे न मरीज उनसे लिखने के लिए कह रहा। दूसरी दिक्कत यह कि इन केन्द्रों में दवाओं की संख्या 150 से भी कम है।
पर्चे में लिखी सभी दवाएं नहीं मिलने से मरीज भी इन स्टोर्स में नहीं जा रहा है। बता दें मरीज यदि चाहे तो डॉक्टर से जेनरिक दवाएं लिखवा सकता है। इसका अधिकार उसे है। तुलसी नगर में जनऔषधि केन्द्र संचालक डॉ. सतीश जैन ने कहा कि इस योजना के तहत 600 तरह की दवाओं की सप्लाई होनी थी, लेकिन इनकी संख्या 100 से 150 के बीच है।
डॉक्टर ब्रांड का नाम लिखते हैं। मरीज के पर्र्चें में लिखी दवा को गूगल में डालकर उसका कंपोजीशन खोजना पड़ता है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर बीपी, डायबिटीज के मरीज ही आते हैं, क्योंकि उन्हें हमेशा दवाएं लगती हैं। कोलार में जनऔषधि केन्द्र खोलने वाले आकाश मिश्रा ने कहा सितंबर में स्टोर शुरू किया था। तब कहा था कि 600 तरह की दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। लेकिन, दवाओं की संख्या 150 से ऊपर नहीं पहुंच रही है। मार्केटिंग के लिए जिम्मेदार अधिकारी भी कुछ नहीं बता रहे हैं।
बीस गुना तक कम होती है कीमत
ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ (इंडिया) बीपीपीआई के डायरेक्टर निकुंज बिहारी सारंगी ने बताया कि जेनरिक और ब्रांडेड दवा में सिर्फ नाम का फर्क होता है। दोनों दवाओं की गुणवत्ता एक जैसी होती है। दोनों तरह की दवाओं में एक ही तरह का कच्चा मेटेरियल उपयोग किया जाता है। दवाओं की गुणवत्ता की जांच भी की जाती है।
इसलिए नहीं खुल रहे नए केन्द्र
योजना के तहत जन औषधि केन्द्र खोलने वाले को सरकार कुल बिक्री का 10 फीसदी कमीशन दे रहे हैं। दवाएं कम होने के चलते बिक्री नहीं हो रही। इस वजह से हर केन्द्र संचालक को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस योजना के तहत शरीर के विभिन्न् अंगों में लगने वाले इंप्लांट की भी बिक्री जानी थी, लेकिन उनकी सप्लाई नहीं हो रही है।
यह हैं दिक्कतें
– मरीज को आधी दवाएं ही मिल पाती हैं, इसलिए वह दवा नहीं खरीदता।
– डॉक्टर ज्यादातर कांबीनेशन (जिसमे एक से ज्यादा दवाएं) ड्रग लिखते हैं, लेकिन पीएमबीजेपी में कांबीनेशन दवाएं नहीं हैं।
– डॉक्टर ब्रांडेड दवा लिखने के साथ ही ऐसी राइटिंग लिखते हैं जो पास के मेडिकल वाला ही पढ़ पाता है।
– जन औषधि केन्द्रों की संख्या काफी कम है।
86 केन्द्र हैं प्रदेश में भोपाल में यहां हैं केन्द्र : रवीन्द्रनाथ टैगोर परिसर साकेत नगर, एम्स परिसर साकेत नगर, दानिश कुंज कोलार, तरुण बाजार तुलसी नगर, विनीत कुंज कोलार रोड।