कहां से मिला डोनेशन? नहीं बताना चाहते राजनीतिक दल, 66 फीसदी चंदा ‘अज्ञात स्रोतों’ से
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राजनीतिक दलों की फंडिंग में अज्ञात स्रोतों से आने वाले आय की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. पिछले 10-15 साल में ‘अज्ञात स्रोतों’ से मिलने वाले राजनीतिक दलों के चंदे की मात्रा काफी ज्यादा रही है. लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड से भी इसमें कोई फर्क नहीं आया है.
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के ऑडिट रिपोर्ट में घोषित चंदे की जानकारी आधार पर एक विश्लेषण किया है. इससे पता चलता है कि साल 2004-05 से 2017-18 के दौरान राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का 66 फीसदी हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आता है.
इलेक्टोरल बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इस पर 26 मार्च को सुनवाई है. राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही के नाम पर केंद्र सरकार राज्यसभा को दरकिनार करते हुए यह संशोधन वित्त विधेयक के रूप में लेकर आई थी. लेकिन सच तो यह है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से पारदर्शिता बढ़ने के बजाए और कम हुई है.
एडीआर के मुताबिक, वर्ष 2004-05 से 2017-18 के दौरान कुल 9,278.3 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. इसमें से 6,612.42 करोड़ रुपये का चंदा यानी करीब 71 फीसदी चंदा अज्ञात स्रोतों से हासिल हुआ है. साल 2015-16 के दौरान कुल चंदा 1,033.22 करोड़ रुपये का मिला, जिसमें से 708.48 करोड़ रुपये का चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला. साल 2016-17 के दौरान राजनीतिक दलों को कुल चंदा 1,559.17 करोड़ रुपये का मिला, जिसमें से 710.8 यानी 46 फीसदी चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला.
साल 2017-18 में राजनीतिक दलों को कुल चंदा 1,293.05 करोड़ रुपये का मिला, जिसमें से 689.44 करोड़ रुपये यानी 53 फीसदी चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला. इन समूचे 13 साल के दौरान राजनीतिक दलों को कुल चंदा 13,163.74 करोड़ रुपये का मिला जिसमें से 8,721.14 करोड़ रुपये यानी 66 फीसदी चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला.