जाति के नाम पर समाज को तोड़ रहीं पार्टियां : मोदी
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मगहर । कबीर दास जी की जयंती पर कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को संत कबीर दास की परिनिर्वाण स्थली मगहर पहुंचे। यहां उन्होंने आयोजित एक कार्यक्रम को भी संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने इशारों में विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कबीर धूल से उठे और माथे का चंदन बन गए, उन्होंने समाज में जाति का भेद मिटाने के साथ उस समाज को जागृत किया। कबीर का पूरा जीवन सत्य की खोज में बीता है। वह फक्कड़ स्वभाव के थे, लेकिन दिल के साफ थे। बाहर से कठोर और भीतर से कोमल थे। वह अपने जन्म से नहीं कर्म से महान बन गए।संत कबीर के बाद संत रैदास आए। अंबेडकर आए। सभी ने अपने-अपने तरीके से समाज को रास्ता दिखाया। बाबा साहब अंबेडकर ने हमें जीने का अधिकार दिया। आज समाज में राजनीतिक लाभ लेने के लिए समाज में असंतोष पैदा कर रहे हैं। कुछ दलों को शांति और विकास नहीं, कलह और अशांति चाहिए, उनको लगता है जितना असंतोष और अशांति का वातावरण बनाएंगे उतना राजनीतिक लाभ होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सच्चाई यह है कि ऐसे लोग जमीन से कट चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश के राजनेताओं को गरीबों की चिंता नहीं रही। उन्हें बंगले का मोह है। करोड़ों के बंगले बनाने वालों ने गरीबों के लिए कुछ नहीं कहा। उन्होंने कभी गरीबों के लिए घर का निर्माण नहीं कराया। जब मोदी सरकार आई तो गरीबों के लिए छत का इंतजाम शुरू करा दिया। अभी दो दिन पहले ही देश में आपाल काल के 47 साल हुए। सत्ता की लालच ऐसी हो गई है कि आपात काल लाने वाले और उसका विरोध करने वाले कंधा से कंधा मिला लिए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन तलाक के मामले में भी इन राजनीतिक दलों को देखा है। आज मुस्लिम महिलाएं भी तीन तलाक के खिलाफ हैं। लेकिन राजनीतिक दलों के लोग मुस्लिम महिलाओं की भलाई की कोई चिंता नहीं है। कबीर दास ने कहा था कि शासक वही है, जो जनता की पीड़ा को समझता हो और उसका निदान करता हो। पर अफसोस कुछ परिवार आज कबीर दास की बात को पूरी तरह नकारने में लगे हैं। वह भूल गए हैं कि आज हमारे साथ कबीर दास हैं। कबीर दास मनुष्य-मनुष्य के बीच भेद पैदा करने वालों के खिलाफ थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कबीर के दर्शन को लोग नहीं समझ रहे हैं। हमारी सरकार गरीब, दलित, पीडि़त, वंचित लोगों के लिए काम कर रही है। लगभग पांच करोड़ लोगों का खाता खुलवाया। करीब एक करोड़ लोगों को सुरक्षा बीमा का कवच देकर और यूपी के गांवों में सवा करोड़ शौचालय बनवाया। हमने सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने का वीणा उठाया है। कबीर श्रमयोगी थे। कबीर ने कहा था कि काल करे सो आज कर-उसी के तहत तेजी के साथ बन रही सड़कें एवं कार्य कबीर के विचारों का प्रतिबिंब है। भारत का पूर्वी भाग को विकास से अलग कर दिया था। आज काम हो रहा है।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि कबीर को समझने के लिए कोई भाषा नहीं गढ़ी। बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल किया। बोलचाल की भाषा में ही उन्होंने जीवन दर्शन को बताया। उनके कई दोहों का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ समाज में आने वाली आंतरिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए ऋषियों, मुनियों ने हमें मार्ग दिखाया। देश की चेतना को बचाने का कार्य संतों ने समय समय पर किया। उन्होंने वल्लभाचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंद, तुलसी आदि कई संतों का नाम लेते हुए कहा कि उस दौर में भी तमाम विपत्तियों से
गुजरते हुए समाज को नई दिशा दी। रामानंद ने तो समाज के सभी वर्गों को जोड़कर जाति-पाति और छुआछूत को समाप्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कबीर व्यक्ति से अभिव्यक्ति बन गए। उन्होंने समाज की चेतना को जागृत करने का काम किया। उन्होंने कहा था कि यदि हृदय में राम है तो क्या काशी, क्या मगहर। कबीर दास कहते थे कि हम काशी में प्रकट भये हैं, रामानंद चेताए। कबीर भारत की आत्मा और रससार कहे जा सकते हैं। उन्होंने जाति-पांति के भेद तोड़ा।