अब उत्तर कोरिया के सरकारी समाचार पत्र ने प्योंगयांग की गरिमा को लेकर US को दी चेतावनी

सियोल । उत्तर कोरिया के सरकारी समाचार पत्र ने शुक्रवार को कहा कि प्योंगयांग की गरिमा और अस्तित्व के किसी भी खतरे को शक्तिशाली ढंग से विरोध किया जाएगा। हालांकि, इसमें अमेरिका का कहीं भी जिक्र नहीं है, लेकिन लेख का इशारा उसी ओर था। यह लेख ऐसे समय प्रकाशित हुआ है, जब उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने इस सप्ताह की शुरुआत में पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक में यह धमकी दी थी कि दुनिया जल्द ही एक नए सामरिक हथियार का गवाह बनेगी।
किम ने कहा कि वह परमाणु और लंबी दूरी के मिसाइल परीक्षणों को निलंबित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अड़े रहने का कोई कारण नहीं दिखता है। उन्होंने कहा कि जब तक अमेरिका प्योंगयांग के खिलाफ अपनी शत्रुतापूर्ण नीति को वापस नहीं लेता है, तब तक कोरियाई प्रायद्वीप का कभी भी परमाणुकरण नहीं होगा। किम के इस बयान के साथ एक बार फिर अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच कूटनीतिक संघर्ष बढ़ सकता है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आंशका बढ़ गई है।
पोम्पिओ के बयान के बाद किम ने अमेरिका को चेताया
खास बात यह है कि किम जोंग का यह बयान ऐसे समय आया है, जब हाल में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने उत्तर कोरिया के साथ स्थगति परमाणु वार्ता पर एक सकारात्मक पहल की बात की थी। इससे दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों के बहाल की बात कही थी। पोम्पिआ का इस बयान के 48 घंटे बाद ही किम जोंग का यह बड़ा बयान सामने आया है। हालांकि, अभी तक किम के बयान पर अमेरिका की अधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि स्थगित परमाणु वार्ता की मियाद पूरी होने के बाद अमेरिका की नई रणनीति क्या होती है।
परमाणु हथियार के परीक्षण में कोई दबाव नहीं
उधर, किम ने संकेत दिया है कि उत्तर कोरिया अब परमाणु हथियारों और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि इस बाबत वह अमेरिका के वचन को मानने के लिए बाध्य नहीं है। किम ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन वार्ताओं को एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में पेश किया है। वह अमेरिका में इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं।
किम ने अपने इरादे किए साफ
हालांकि, किम ने इन परीक्षणों की कोई स्पष्ट समय सीमा नहीं निर्धारित की है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि किम ने परमाणु वार्ता की गेंद को अमेरिका के पाले में डाल दिया है। अलबत्ता, किम ने अपने इरादे साफ कर दिया है कि वह किसी भी दबाव में आने वाले नहीं है। अब यह देखना अहम होगा कि किम के इस स्टैंड के बाद अमेरिका क्या रणनीति बनता है। किम ने स्थगति परमाणु वार्ता पर छोटी दूरी के हथियारों का परीक्षण करके अमेरिका पर कूटनीतिक दबाब बनाया था।
ट्रंप ने कहा कि किम ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने परमाणुकरण के बारे में एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे और उन्होंने सोचा था कि उत्तर कोरियाई नेता अपने शब्दों पर टिके रहने वालों में से हैं। ट्रंप का ये बयान तब आया है जब किम ने कहा कि उनका देश परमाणु कार्यक्रम विकसित करना जारी रखेगा और निकट भविष्य में ‘नया रणनीतिक हथियार’ पेश करेगा, ट्रप ने कहा कि उन्हें किम का साथ मिला और हमें वही करेंगे जो हमें करना है। ट्रंप ने कहा कि लेकिन उन्होंने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो कि परमाणुकरण के बारे में बात कर रहा है। यह समझौता सिंगापुर में किया गया था, और मुझे लगता है कि वह अपने शब्दों पर बने रहने वाले आदमी है।