भारत का समर्थन करने वालीं नेपाली सांसद बर्खास्त, विपक्ष ने ओली को बताया- अपरिपक्व
काठमांडू. भारत का समर्थन और नेपाल के नए नक़्शे का विरोध करने वालें संसद सरिता गिरि को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है. नक्शे में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया. विपक्षी जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के लिए सरिता गिरि को बर्खास्त करने का निर्णय लिया है. सरिता ने देश के संशोधित नक्शे को स्वीकृति देने के लिए संविधान संशोधन की सर्वसम्मति से मंजूरी देने के निर्णय का उल्लंघन किया था. उधर नेपाल में भी चीन (China) का विरोध शुरू हो गया है, मंगलवार को सैंकड़ों छात्रों ने चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया.
काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक पार्टी महासचिव रामसहाय प्रसाद यादव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति ने अनुशंसा की कि गिरि को सांसद के साथ ही पार्टी सदस्यता से भी बर्खास्त किया जाए। पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में मंगलवार को यह निर्णय किया गया. जेएसपी और मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सरकार के पहल का समर्थन किया था. अपनी पार्टी के आधिकारिक रूख के विपरीत सांसद गिरि ने संसद सचिवालय में अलग से संशोधन प्रस्ताव को पंजीकृत कराया. गिरि ने पुराने नक्शे को ही बरकार रखने की मांग की और कहा कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाली क्षेत्र के तौर पर दावा करने के लिए स्पष्ट साक्ष्य नहीं है. समाजवादी पार्टी ने गिरि से संशोधन वापस लेने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने अपना संशोधन प्रस्ताव वापस लेने से मना कर दिया. संविधान संशोधन का उद्देश्य देश के नये प्रशासनिक और राजनीतिक नक्शे को अद्यतन करना था, जिसे संसद ने 18 जून को आम सहमति से मंजूरी दी थी.
ओली सरकार को विपक्ष ने बताया- अपरिपक्व
नेपाल के विपक्षी दलों ने मंगलवार को के पी ओली सरकार की ‘अपरिपक्व’ विदेश नीति के लिए उसकी आलोचना करते हुए कहा कि यह पड़ोसियों के साथ देश के रिश्तों को बाधित कर रही है. पिछले महीने रणनीतिक रूप से अहम तीन भारतीय क्षेत्रों- लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा- को देश के अद्यतन राजनीतिक मानचित्र में शामिल करने के उनकी सरकार के कदम के बाद से ही प्रधानमंत्री ओली कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं. चीन की तरफ अपने झुकाव के लिये चर्चित ओली पर भारत विरोधी बयानों के लिये प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के लिये उनकी पार्टी के नेताओं की तरफ से भी दबाव है.
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने पिछले हफ्ते ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा था कि उनका यह बयान कि भारत उन्हें हटाने की साजिश रच रहा है, ‘न तो राजनीतिक रूप से सही था न ही कूटनीतिक रूप से उचित.’ काठमांडू पोस्ट अखबार की खबर के मुताबिक विपक्षी दलों की मंगलवार को संपन्न हुई एक बैठक में कहा गया कि ओली सरकार ने बेहद असंतुलित और गैरजिम्मेदाराना विदेश नीति अपनाई है जो पड़ोसियों के साथ नेपाल के रिश्ते को बाधित कर रही है. खबर के अनुसार, बैठक में कहा गया कि नेपाली कांग्रेस (एनसी) और जनता समाजबादी पार्टी (जेएसपी) के नेताओं के मुताबिक अपरिपक्व विदेश नीति आचरण के कारण पड़ोसियों से रिश्ते बिगड़े हैं और बेहद जटिल हो गए हैं.
एनसी के उपाध्यक्ष बिमलेंद्र निधी ने भारत का नाम लिये बगैर कहा, ‘बैठक में यह पाया गया कि सरकार की अपरिपक्व विदेश नीति की वजह से नेपाल को पड़ोसियों से अच्छे संबंध बरकरार रखने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.’ रोचक बात यह है कि एनसी और जेएसपी ने पिछले महीने नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र को फिर से तैयार करने संबंधी ओली सरकार के संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन किया था. सरकार के इस कदम से भारत और नेपाल के बीच विवाद था और भारत ने स्पष्ट किया था कि काठमांडू द्वारा क्षेत्रीय दावों को बढ़ाचढ़ा कर पेश किया जाना यह स्वीकार्य नहीं है. निधि ने कहा कि बैठक में मौजूदा राजनीतिक स्थिति, सरकार के सदन को स्थगित करने, विदेश नीति और कोरोना वायरस महामारी से खराब तरीके से निपटने समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई. अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा इस्तीफा देने के लिये बढ़ते दवाब के बीच ओली ने बीते बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदन की कार्यवाही का अवसान कर दिया था.
नेपाल में चीनी दूतावास के सामने छात्रों ने किया प्रदर्शन
नेपाल के आंतरिक मामलों में चीनी राजदूत होउ यांकी की दखलअंदाजी के खिलाफ सैंकड़ों छात्रों ने मंगलवार को चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया. मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई नेपाल स्टूडेंट्स यूनियन के कार्यकर्ताओं ने दूतावास के सामने प्रदर्शन किया. इस्तीफे के लिए दबाव का सामना कर रहे प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली का पद बचाने के लिए चीनी राजदूत ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के कई नेताओं के साथ बातचीत की है. ओली को चीन की तरफ झुकाव रखने के लिए जाना जाता है. होउ ने पिछले दिनों एनसीपी के शीर्ष नेता और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झलनाथ खनाल से बातचीत की. प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली का भविष्य अब बुधवार को तय होगा। इस संबंध में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है.
सत्तारूढ़ दल के नेताओं के साथ चीनी राजदूत की सिलसिलेवार बैठक को कई नेताओं ने नेपाल के आंतरिक राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है. यह कोई पहला मामला नहीं है जब चीनी राजदूत ने संकट के समय नेपाल के आंतरिक मामले में दखल दी है। करीब डेढ़ महीने पहले भी पार्टी के भीतर गतिरोध बढ़ने पर राजदूत ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तथा प्रचंड समेत अन्य नेताओं के साथ अलग-अलग मुलाकात की थी. प्रधानमंत्री द्वारा एकतरफा तरीके से संसद के बजट सत्र को स्थगित करने के बाद एनसीपी के दो धड़ों के बीच मतभेद गहरा गया है. पार्टी का एक धड़ा ओली के समर्थन में हैं जबकि दूसरा धड़ा कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ का समर्थन करता है. प्रचंड के खेमे को वरिष्ठ नेता माधव नेपाल और झलनाथ खनाल का समर्थन है और वे ओली का इस्तीफा मांग रहे हैं.