बीस साल की हुई शरद पवार की NCP, 15 साल तक रही सत्ता में भागीदार
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मुंबई: आज 10 जून है। आज के ही दिन 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना हुई थी। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपनी स्थापना का आज जश्न मना रही है। लेकिन चार माह बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की छाया उसके ऊपर मंडराती हुई दिख रही है। मौजूदा स्थिति राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लिए अनुकूल नहीं लग रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपनी स्थापना के बाद 15 साल तक सत्ता में भागीदार रही। पिछले पांच साल से वह राज्य की सत्ता से दूर है और केंद्र में भी उपस्थिति अच्छी नहीं है।
एनसीपी के लिए यह स्थिति सुखद अनुभव नहीं दे रही है। पार्टी का गठन जून 1999 में हुआ था जब महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में थोड़ा समय ही शेष रह गया था। 1999 से लेकर 2004 तक केंद्र में एनडीए की सरकार थी, लेकिन 2004 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो एनडीए सत्ता से बाहर हो गया और केंद्र में यूपीए की सरकार बनी, जिसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस की हिस्सेदारी रही। उसके बाद 2014 तक एनसीपी केंद्र और राज्य की सत्ता में भागीदार रही।
एनसीपी ने 1999 विधानसभा चुनाव में कुल 288 सीटों में से 58 सीटें जीती थीं, जिसमें 22.6 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुआ था। अपनी स्थापना के समय से ही एनसीपी राज्य की सत्ता में भागीदार रही, जिससे एनसीपी नेताओं को यह पता ही नहीं चला कि विपक्ष में रहकर क्या करना पड़ता है? 1999 में, महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के साथ लोकसभा चुनाव हुए और राकांपा ने राज्य की छह सीटों सहित आठ लोकसभा सीटें जीतीं। 2004 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एनसीपी को नौ और 2009 में आठ लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई।
लेकिन 2014 में, एनसीपी को लोकसभा की चार सीटों पर जीत मिली और उसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनावों में, एनसीपी को 41 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। 2014 के बाद, एनसीपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का भाजपा या शिवसेना में लगातार आवाजाही लगी रही। 2019 के लोकसभा चुनावों में, एनसीपी को केवल चार सीटों पर जीत मिली और पहली बार पवार परिवार का कोई सदस्य चुनाव हारा। शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के बेटे पार्थ को मावल निर्वाचन क्षेत्र में करारी हार का सामना करना पड़ा।
इस महीने की शुरुआत में, मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आने लगी कि एनसीपी का कांग्रेस में विलय हो सकता है। लेकिन यह केवल अटकलें ही थीं। एनसीपी की तरफ से इन अटकलों को एक सिरे से खारिज कर दिया गया। शरद पवार समेत एनसीपी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग जाने का निर्देश दिया गया।
गौरतलब है कि जून 1999 में, पवार और पीए संगमा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। शिवसेना-भाजपा गठबंधन को सत्ता में लौटने से रोकने के लिए 1999 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद एनसीपी ने महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया। हालांकि, पवार राज्य की राजनीति में वापस नहीं लौटे और कांग्रेस के विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री चुना गया और एनसीपी के छगन भुजबल डिप्टी सीएम बने।