राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के आंसुओं ने दिखाया जबदस्त असर, जानिये 24 घंटों में कैसे बदल गया नजर
दिल्ली में किसानों का आंदोलन अब नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है. कुछ किसान संगठनों ने अपने आपको इस आंदोलन से अलग भी कर लिया है. 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान नेताओं के सुर भी बदल गए हैं. लेकिन एक किसान नेता ऐसा भी है जिसने हार नहीं मानी किसान प्रवक्ता राकेश टिकैत आंदोलन खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर आंदोलन खत्म हुआ तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। लेकिन क्या आप किसान नेता राकेश टिकैत के बारे में जानते हैं. वो भी कभी दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे और आज करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. राकेश टिकैत दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें दोनों बार जीत नहीं मिली. किसानों की राजनीति तो राकेश टिकैत को विरासत में मिली है. उनके दिवंगत पिता महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष थे. राकेश टिकैत का जन्म 4 जून 1969 को उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में हुआ था. राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एम. ए. की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने एलएलबी की और वकील बन गए. राकेश टिकैत 1992 में दिल्ली में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे, उस दौरान। 1993-1994 में दिल्ली में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसान आंदोलन चल रहा था ओर बता दे उस वक्त केंद्र मै कांग्रेस की सरकार थी। क्यूंकि महेंद्र सिंह टिकैत राकेश टिकैत के पिता थे, इसलिए सरकार ने किसान आंदोलन खत्म करवाने के लिए उन पर दबाव डाला कि वो अपने पिता को मनाएं. फिर राकेश टिकैत ने अपना पद छोड़ दिया और किसानों के साथ खड़े हो गए और 26 जनवरी को भी ऐसा ही हुआ जब सब लोगो ने उनका साथ छोड़ दिया उसके बाद भी वो अकेले लड़ते रहे ओर इसी जज्बे को देख अब फिर से किसान आंदोलन ने अपना रुख मोड लिया है और अब फिर से पंजाब हरियाणा जैसे राज्यों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर आ गये हैं।
मनीष सकलानी ई-खबर रिपोर्टर