घर में घिर रहे हैं शिवराज? मजबूत कैंडिडेट के बाद कांग्रेस ने अपनाई ये रणनीति

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार चरम पर है। 28 नवंबर को मतदान से पहले बीजेपी और कांग्रेस दोनों अपनी रणनीतियों पर अंतिम दौर में काम कर रही हैं। इस बीच कांग्रेस ने शिवराज सरकार के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल दिया। स्वंय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी कांग्रेस इस बार वॉकओवर देने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि शिवराज की सीट बुधनी चर्चा में आ गई है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस यहां शिवराज सिंह को कड़ी टक्कर दे सकती है। पार्टी ने न सिर्फ मदूबत कैंडिडेट उतारकर इस सीट को लड़ाई में ला दिया है बल्कि उसके बाद भी तीखे प्रचार और तेज रणनीति से मुकाबला में खुद को आगे लाने की कोशिश में है।
शिवराज को सीधे घेरने की कोशिश
मध्य प्रदेश के अलावा शिवराज को उनके घर यानी बुधनी में सीधे घेरने की कोशिश कर रही है। शिवराज की सीट का हाल दिखाने के लिए कांग्रेस ने अपने हैवीवेट नेताओं के सीट से तुलना शुरू कर दी है। कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ सीधे इस मैदान में उतरे हैं। उनके समर्थक तेजी से प्रचार कर रहे हैं। छिंदवाड़ा में 9 केंद्रीय विद्यालय, बुधनी में एक भी नहीं जैसे पोस्टर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। शिवराज के बुधनी विधानसभा में ‘फर्क’ दिखाने के लिए कांग्रेस के हैवीवेट नेता अपने क्षेत्र, सीटों का वहां से तुलना कर रहे हैं।
अरुण यादव ने संभाला मोर्चा
कांग्रेस ने 2013 में बुधनी विधानसभा से शशांक भार्गव को मैदान में उतारा था। शिवराज को जीत तो मिली थी पर मुकाबला पांच साल पहले भी कड़ा हो गया था। भार्गव को 56817 वोट मिले थे जबकि शिवराज ने 73783 वोट हासिल किए थे। शिवराज महज 16966 वोट से जीते थे। इसके बाद से ही कांग्रेस को लगने लगा था कि शिवराज के घर को भी हिलाया जा सकता है। यही कारण है कि कांग्रेस ने इस बार शिवराज के गढ़ में अपने हैवीवेट नेता को मैदान में उतारा है। अरुण यादव कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि शिवराज की विधानसभा से अरुण का लड़ाने का फैसला खुद राहुल गांधी ने पार्टी के बड़े नेताओं के साथ मिलकर किया है।
तो क्या है बुधनी का माहौल?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवराज की जीत इस बार और मुश्किल हो सकती है इसका सबसे बड़ा कारण यहां बन रहा मौहाल। कुछ महीने से यहां सपा में रहे अर्जुन आर्य ने अच्छा माहौल बनाया है। विधानसभा क्षेत्र के कई हिस्सों में उन्होंने अच्छी पकड़ बनाई है। कांग्रेस में जाने के बाद भी अर्जुन को टिकट नहीं मिला पर इस माहौल का फायदा अरुण यादव को हो सकता है।
‘घर वापसी’ कर सकते हैं शिवराज
बुधनी विधानसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार का पूरा जिम्मा शिवराज के बेटे कार्तिकेय संभालते है। इसके साथ ही उनकी पत्नी साधना सिंह भी विधानसभा चुनावों में प्रचार करते हुए नजर आती हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी चुनाव प्रचार शुरू होते ही नामांकन के बाद शिवराज ने ऐलान किया था- मैं 229 सीटों पर प्रचार करूंगा पर यहां नहीं आऊंगा। मुख्यमंत्री की सोच है कि यहां के लोग उनके अपने हैं और उनका प्यार बना रहेगा। पर इस बार कई बार प्रचार के दौरान उनके बेटे और पत्नी से जनता कड़े सवाल पूछ चुकी है। कई ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें दोनों को विरोध का सामना करना पड़ा है। ऐसे में क्या शिवराज अपना गढ़ बचाने के लिए अपनी सीट पर प्रचार के लिए लौटेंगे?
कांग्रेस बुधनी में टक्कर दे रही है, तो क्या शिवराज प्रचार के लिए लौटेंगे? इस सवाल के जवाब में कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने कहा- ये फैसला शिवराज को करना है। हम तो पूरी ताकत से लड़ रहे हैं और इस बार जनता जवाब देगी।