पश्चिमी यूपी को दहलाने की फिराक में था 50 हजार का इनामी नरेश भाटी, गिरफ्तार
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लखनऊ
पारा इलाके में बुधवार की रात मुठभेड़ के बाद दबोचा गया कुख्यात बदमाश नरेश भाटी पश्चिमी यूपी को दहलाने की साजिश रच रहा था। पुलिस का दावा है कि गैंग को और मजबूत करने के लिए उसने बिहार से कारबाइन मंगवाई थी। कारबाइन लेकर वह भागने की फिराक में था, तभी पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान उसे और उसके साथी को दबोच लिया। पुलिस अब उसे कारबाइन देने वाले गैंग की तलाश कर रही है।
गौतमबुद्धनगर के हिस्ट्रीशीटर नरेश भाटी की पुलिस को कई मामलों में तलाश थी। हत्या और गैंगेस्टर समेत एक दर्जन से अधिक मामलों में वह वांछित चल रहा था। आईजी मेरठ जोन की ओर से उसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार का इनाम घोषित किया गया था। एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि नरेश भाटी ने अपने गैंग को मजबूत करने के लिए बिहार के सीवान से कारबाइन मंगवाई थी। असलहों का तस्कर बाराबंकी में उसे कारबाइन देने आया था।
कारबाइन लेने के बाद नरेश भाटी अपने साथी कुलदीप के साथ पश्चिमी यूपी भागने की फिराक में था। सरोजनीनगर पुलिस को भनक लगी तो उसने उसे नादरगंज में घेरने का प्रयास किया। पुलिस से घिरता देख उसने पारा के हंसखेड़ा की ओर बाइक भगा दी। तभी पारा थाने की पुलिस ने उसे घेर लिया। तब तक सरोजनीनगर थाने की पुलिस भी पहुंच गई। दोनों ओर से हुई मुठभेड़ में नरेश और उसका साथी कुलदीप पकड़े गए। कुलदीप के खिलाफ हत्या समेत करीब आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।
गैंग के पास है एके-47 राइफल
पश्चिमी यूपी में मौजूदा समय में नरेश भाटी और सुंदर भाटी गैंग में प्रतिद्वंदिता है। लोगों का कहना है कि दोनों गैंग में एके-47 तक मौजूद हैं। पुलिस का दावा है कि अपनी ताकत और बढ़ाने के लिए ही नरेश कार्बाइन लेने बाराबंकी आया था। नरेश ने अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद कुख्यात सतबीर गुर्जर गैंग का दामन थामा था। 1990 के दशक में नरेश भाटी की अपने सहयोगी सुंदर भाटी से सिकंदराबाद में ट्रक यूनियन पर कब्जे को लेकर दरार पड़ गई थी। उसी के बाद दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन गए। दोनों गैंग के बीच नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्क्रैप और ट्रांसपोर्ट के ठेकों लेकर कई बार गोलियां चल चुकी हैं।
राजनीति में भी आजमा चुका है किस्मत
नरेश भाटी अपने दबदबे के दम पर जिला पंचायत चेयरमैन बन गया था जो सुंदर भाटी को रास नहीं आया। इसके बाद दोनों ने दादरी विधानसभा का चुनाव एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा। सुंदर भाटी एक राजनीतिक पार्टी से चुनाव लड़ा, जबकि नरेश भाटी निर्दलीय मैदान में था। हालांकि चुनाव में दोनों हार गए थे। नरेश की पारिवारिक पृष्ठभूमि पहले ऐसी नहीं थी। 90 के दशक में प्रॉपर्टी के विवाद में नरेश के दादा, पिता और ताऊ की हत्या के बाद उनके परिवार की हथियारों से दोस्ती हो गई थी। नरेश भाटी का भाई रणदीप पुलिस के रिकॉर्ड में आईएस-298 गैंग का लीडर है।