कांग्रेस के मुस्लिम नेता बोले- लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा हिन्दुओं को मूर्ख बनाने की कोशिश
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कर्नाटक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रेल मंत्री सी के जाफर शरीफ ने कर्नाटक चुनावों से पहले सिद्धारमैया सरकार द्वारा लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने की पहल को घातक करार दिया है और कहा है कि इससे कांग्रेस को कुछ भी सियासी तौर पर हासिल नहीं होनेवाला है। शरीफ ने टाइम्स नाऊ से बात करते हुए कहा कि लिंगायतों को अल्पसंख्यक दर्जा देना हिन्दुओं को बांटने और मूर्ख बनाने की साजिश है। उन्होंने कहा कि पहले से ही लिंगायत समुदाय आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी विकसित रहा है। उनके पास अपना मठ है। उनके लोग सरकार में उच्च पदों पर हैं। वे लोग शिक्षित हैं और व्यापार पर उनकी अच्छी पकड़ है। जाफर शरीफ ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि कांग्रेस अपनी हाल के चुनावी चाल से लिंगायत समुदाय को अपने पाले में करने में कामयाब हो पाएगी।
बता दें कि 84 साल के जाफर शरीफ केंद्र की पी वी नरसिम्हा राव सरकार में 1991 से 1995 तक रेल मंत्री थे। इन्हें रेलवे में गेज परिवर्तन जैसे अमान परिवर्तन के लिए जाना जाता है। इनके अलावा जब कांग्रेस पार्टी का बंटवारा हुआ था, तब इन्होंने इंदिरा गांधी का साथ दिया था। इसलिए इन्हें नेहरू-गांधी परिवार का भरोसेमंद कांग्रेसी नेता माना जाता रहा है। पिछले साल भी जाफर शरीफ तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को देश का राष्ट्रपति बनाने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने राज्य की करीब 21 फीसदी आबादी वाले लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देकर बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया है। कांग्रेस को इस राजनीतिक बाजी का न सिर्फ हाल के चुनावों में फायदा हो सकता है बल्कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में भी पार्टी इस मुद्दे को बीजेपी के खिलाफ भुना सकती है। बता दें कि 224 सदस्यों वाले कर्नाटक विधानसभा की करीब 100 सीटें ऐसी हैं, जहां लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। कांग्रेस के इस कदम से बीजेपी में बेचैनी है क्योंकि माना जाता रहा है कि लिंगायत समुदाय बीजेपी का कोर वोटर है लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देकर कांग्रेस ने बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है।