पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला संशोधन विधेयक लोकसभा में पास
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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने आज दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ सर्वसम्मति से मंजूरी प्रदान कर दी।
सदन ने राज्यसभा द्वारा विधेयक में किये गये संशोधनों को निरस्त करते हुए वैकल्पिक संशोधन तथा और संशोधनों के साथ ‘संविधान (123वां संशोधन) विधेयक, 2017’ पारित कर दिया। सदन में मतविभाजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 406 सदस्यों ने मत दिया। विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। सरकार के संशोधनों को भी सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।
लोकसभा में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा के दौरान 32 सदस्यों ने हिस्सा लिया। विधेयक के पारित होते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में उपस्थित थे।
इससे पहले बीजद के भर्तृहरि महताब द्वारा पेश संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 302 मतों से नकार दिया।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का संकल्प लिया था, इसलिए इसे दोबारा लोकसभा में राज्यसभा के संशोधनों पर वैकल्पिक संशोधनों के साथ लाया गया है।
उन्होंने कहा कि आयोग में महिला सदस्य को शामिल करने की महताब और अन्य सदस्यों की मांग के संदर्भ में सरकार ने आश्वासन दिया था कि नियम बनाते समय ऐसा किया जाएगा। इस आश्वासन को सरकार दोहराती है। एससी और एसटी आयोग की शब्दावली में भी महिला सदस्य को लेकर कोई उल्लेख नहीं है।
गहलोत ने कहा कि अब सरकार के संशोधनों के साथ आया विधेयक अत्यधिक सक्षम है और आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद आयोग पूरी तरह सशक्त होगा।
राज्यों में जातियों का आरक्षण तय करने का अधिकार वहां की सरकारों को होने संबंधी महताब के सवाल पर गहलोत ने स्पष्ट किया कि यह आयोग केंद्रीय सूची से संबंधित ही निर्णय लेगा। राज्यों की सूची बनाने का काम राज्यों के आयोग का ही होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त करता हूं कि राज्य बाध्यकारी नहीं होंगे।’’ विधेयक पारित होने के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष सभी दलों के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया।
प्रधानमंत्री ने विधेयक पारित होने पर गहलोत के पास जाकर उन्हें बधाई दी। इसके बाद भाजपा और कुछ अन्य दलों के नेताओं ने भी प्रधानमंत्री के पास आकर बधाई दी। भारत के संविधान का और संशोधन करने वाले, लोकसभा द्वारा यथापारित तथा संशोधन के साथ राज्यसभा द्वारा लौटाये गए विधेयक में पृष्ट एक की पंक्ति एक में ‘अड़सठवे’ के स्थान पर ‘उनहत्तरवें’ शब्द प्रतिस्थापित करने की बात कही गई है।
इसमें कहा गया है कि इसमें खंड तीन के पृष्ठ 2 और पृष्ठ 3 तथा खंड 3 का लोप किया जाए तथा इसके स्थान पर राज्य सभा द्वारा किये गए संशोधनों में पृष्ठ 2 और 3 पर निम्नलिखित संशोधन अंत: स्थापित किया जाए : संविधान के अनुच्छेद 338क के बाद नया अनुच्छेद 338ख अंत:स्थापित किया जाएगा। इसमें सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो के लिये राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नामक एक नया आयोग होगा ।
संसद द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अध्यधीन आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे । इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्ते एवं पदावधि ऐसी होगी जो राष्ट्रपति नियम द्वारा अवधारित करे।
आयोग को अपनी स्वयं की प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति होगी । आयोग को संविधान के अधीन सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो के लिये उपबंधित सुरक्षा उपाय से संबंधी मामलों की जांच और निगरानी करने का अधिकार होगा । इसके अलावा आयोग पिछड़े वर्गो के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भाग लेगा और सलाह देगा ।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक पूर्व में लोकसभा में पारित हुआ था और राज्य सभा ने इसे कुछ संशोधनों को पारित किया था ।
संघ और प्रत्येक राज्य सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो को प्रभावित करने वाले सभी मुख्य नीति विषयक मामलों पर आयोग से परामर्श करेगी । इसमें पृष्ट एक में पंक्ति चार में 2017 के स्थान पर 2018 प्रतिस्थापित किया जाए ।