देश में कोरोना महामारी के कारण राज्यों में लॉकडाउन से 40 लाख नौकरियां जाने का खतरा
देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में प्रतिबंधों के चलते 80 फीसदी दुकानें बंद हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक रीटेल कारोबारी एक ऐसे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जिससे मैन्युफैक्चरिंग, एंटरटेन्मेंट जैसे दूसरे बड़े उद्योग सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। ऐसे में यहां आने वाली मुश्किलों का असर पूरी वैल्यू चेन पर पड़ता दिखेगा। और अगर इसे सहारा नहीं दिया गया तो दूसरी जगहों से भी नौकरियां जाने और मंदी जैसे हालात पैदा होने शुरू हो सकते हैं।वहीं जो बाकी की 20 फीसदी खुली हैं वहां भी ग्राहक नहीं आ रहे हैं। ऐसे में रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से आशंका जाहिर की गई है कि अगर जल्द सरकार और रिजर्व बैंक मदद के लिए सामने नहीं आया तो सीधे तौर पर 40 लाख नौकरियां जाने का खतरा है।
रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने वित्तमंत्री को चिट्ठी लिखकर राज्यों में लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसे हालात से पैदा हुई परिस्थितियों से अवगत कराया। इसके अलावा कारोबारियों की तरफ से सभी तरह के कर्ज के ब्याज पर छूट देने की भी मांग की गई है। कारोबारियों की दलील है कि रिटेल कारोबार में मार्जिन कम होता है। आज के कारोबारी माहौल में बिना आमदनी या फिर बेहत कम आमदनी के चलते ब्याज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में मांग की गई है कि रिटेल क्षेत्र के सभी कर्ज पर छह फीसदी का ही ब्याज लगाया जाए और इसके लिए सरकार जरूरी स्कीम लेकर आए।
इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन का दायरा बढ़ाए सरकार
संगठन ने मांग की है कि रिटेल कारोबारियों के लिए इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम दायरा बढ़ाया जाए। वहीं छह महीने तक लिए गए कर्ज के मूलधन और ब्याज पर मोरटोरियम देने की भी मांग की गई है। सरकार से रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने ये भी अपील की है है कि रिजर्व बैंक के जरिए कारोबारियों की कार्यशील पूंजी का दायरा बढ़ाते हुए उन्हें विशेष कर्ज दिया जाए। ये कर्ज उनकी सीमा का 30 फीसदी अधिक होना चाहिए ताकि मौजूदा कई राज्यों में लॉकडाउन और सख्त कर्फ्यू जैसे हालात में कर्मचारियों की तन्ख्वाह दी जा सके।
रिजर्व बैंक से जल्द कदम उठाने की अपील
एसोसिएशन का आंकलन है कि देश के रिटेल क्षेत्र में करीब ढाई लाख करोड़ रुपये का निवेश है। ये आशंका जताई गई है कि अगर इस दिशा में सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ तुरंत कोई सहायता नहीं की गई तो 75 हजार करोड़ रुपये तक का निवेश एनपीए हो सकता है। यही नहीं इससे सीधे पूरे क्षेत्र में तीस लाख नौकरियां भी खतरे में आ जाएंगी और रिटेल क्षेत्र से प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर जुड़े दूसरे क्षेत्रो में भी नौकरियां जानी शुरू हो जाएंगी। जिसमें से अकेले टेक्सटाइल क्षेत्र की ही 10 लाख नौकरियां जुड़ी हुई हैं।