चीन के OBOR के जवाब में भारत INSTC में शामिल, EU तक मिलेगी एंट्री
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नई दिल्ली। भारत को अश्गाबाद समझौते में जगह मिल गई है जिसकी मध्य एशिया को फारस की खाड़ी से जोड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय परिवहन और ट्रांजिट गलियारे को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है।
अन्तरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर :आईएनएसटीसी: को चीन के वन बेल्ट, वन रोड पहल के जवाब के रूप में पेश किया जा रहा है। विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अश्गाबाद समझौते में प्रमुख राष्ट्र (डिपोजिटरी स्टेट) के रूप में तुर्कमेनिस्तान ने भारत को सूचित किया कि समझौते से जुड़े चारों संस्थापक सदस्यों ने भारत को शामिल करने पर अपनी सहमति दे दी है।
तुर्कमेनिस्तान के अलावा, इस समझौते के अन्य संस्थापक देशों में ईरान, ओमान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इन देशों ने 25 अप्रैल 2011 को समझौते पर दस्तखत किए थे।
इस समझौते में भारत को ऐसे समय में शामिल करने का निर्णय किया गया है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी माह ओमान की यात्रा पर जा रहे हैं और ईरान के राष्ट्रपति का भी जल्द ही भारत आने का कार्यक्रम है ।
चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल की पृष्ठभूमि में ईरान, रूस, भारत के सहयोग वाले बहुपक्षीय परिवहन कार्यक्रम अन्तरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर (आईएनएसटीसी) को आगे बढ़ाने में अश्गाबाद समझौते को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस परियोजना में ईरान के चाबहार बंदरगाह की महत्वपूर्ण भूमिका होगी जिसका विकास भारत के सहयोग से किया जा रहा है।
उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर हिन्द महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के जरिये कैस्पियन सागर से जोड़ेगा और फिर रूस से होते हुए उत्तरी यूरोप तक पहुंच बनाएगा ।
वहीं, विदेश मंत्रालय का कहना है कि अश्गाबाद समझौते में शामिल होने से मध्य एशिया के साथ भारत के जुड़ाव के विकल्पों में विविधता आएगी और इस क्षेत्र से भारत के व्यापार एवं वाणिज्यिक संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मार्च 2016 में ही कैबिनेट ने दी थी मंजूरी
मार्च 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के अश्गाबाद समझौते में सम्मिलित होने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
माल पहुंचाने में एक तिहाई तक कम हो सकती है लागत
आईडीएसए से जुड़े विदेश मामलों संबंधी विशेषज्ञ ए सतोब्दन ने कहा कि एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अन्तरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर (आईएनएसटीसी) के अमल में आने पर माल को पहुंचाने के समय और लागत में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आएगी।
क्या है अश्गाबाद समझौता
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राजीव नयन ने कहा कि अश्गाबाद समझौता मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के बीच वस्तुओं की आवाजाही को सुगम बनाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा है। उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर को आगे बढ़ाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस संबंध में हमें चाबहार बंदरगाह का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना चाहिए, जो हमारे लिए सम्पूर्ण मध्य एशिया के द्वार खोल देगा।