Ideas of India 2023: अमिताव घोष ने पूंजीवाद को बताया सबसे बड़ी विफलता

एबीपी के कार्यक्रम आइडिया ऑफ इंडिया 2023 का शनिवार (25 फरवरी) को दूसरा दिन है. इस कार्यक्रम में देश और दुनिया की जानी-मानी हस्तियां प्रासंगिक विषयों पर अपने विचार रख रही हैं. शनिवार को लेखक अमिताव घोष कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर बेबाकी से चर्चा की और पूंजीवाद को निशाने पर लिया.
अमिताव घोष ने कहा, ‘पूंजीवाद बाजार की आज तक की सबसे बड़ी विफलता है. जिन्हें समझाया गया है कि लालच अच्छा है और आपको अपने शेयर होल्डर्स के लिए पैसा कमाना चाहिए, आप उन लोगों से जलवायु परिवर्तन के संबंध में कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे इसे ठीक करेंगे. निश्चित ही, वे नहीं करेंगे.’ उन्होंने कहा कि बहुत सारे पूंजीवादी आजकल ग्रीनवाशिंग की बात कर रहे हैं.
घोष ने कहा कि भारत आज गतिशील अर्थव्यवस्था के दौर में है, लेकिन इसके साथ ही देश के किनारे पर चारों तरफ से जलवायु परिवर्तन के चलते असहनीय दर्द बढ़ रहा है.
जलवायु परिवर्तन धीमा जहर
अमिताव घोष ने जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी मुश्किल इसका धीमी प्रक्रिया को बताया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन अचानक से नहीं आता है. यह लोगों को लंबे समय तक उनकी जमीन से दूर कर देता है और कोई इस ओर ध्यान नहीं देता है. उन्होंने इसे धीमा जहर कहा. लेखक ने यह भी कहा, ‘भारत की डेमोग्राफी में पिछले कुछ दशकों में अविश्वसनीय बदलाव हुआ है.’
मुंबई डूबने की तरफ बढ़ रही- घोष
घोष ने देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली मुंबई पर बहुत बड़े खतरे की आहट को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि मुंबई छह टापुओं पर बसा हुआ है, लेकिन शुरू से यह ऐसा नहीं है. सबसे पहले यहां पुर्तगाली पहुंचे और बस्तियां बसानी शुरू की. पुर्तगालियों ने इसके द्वीपों को नहीं छुआ, बल्कि मुख्य भूमि वसई को अपना ठिकाना बनाया.
जब अंग्रेज यहां पहुंचे तो उन्होंने अलग-अलग टापुओं पर दावा किया और बसावट शुरू की. वे सभी 6 द्वीपों को साथ लाएं और इस तरह 100 या उससे ज्यादा सालों में आज का मुंबई बना है. घोष ने आगे कहा, अब समंदर इन द्वीपों पर फिर से अपना दावा कर रहा है. पानी अपनी मर्जी से कोई चीज नहीं छोड़ता है और ये द्वीप वापस समंदर में (धीरे-धीरे) जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, मुंबई में कोई सुरक्षा नहीं है, कल्पना कीजिए कोई बड़ा चक्रवात अगर यहां टकराता है तो यह तबाही की तरह होगा.