पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार में जुटे नेताओं को करें होम क्वारंटीन: दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
पश्चिम बंगाल समेत अन्य चुनावी राज्यों में रोड शो और रैलियों के कारण कोविड़ संक्रमण बहुत बड़ा है। इससे पूरे देश में एक महामारी के हालत पैदा हो गए हैं। आम आदमी के ऊपर जुर्माना, जेल और अनेक कार्रवाई हो रही हैं नेताओं के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसा लगेगा कि एक देश दो विधान हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय में मंगलवार को एक अर्जी दायर कर निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान कथित तौर पर कोविड-19 नियमों के उल्लंघन को लेकर स्टार प्रचारकों और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं पर जुर्माना लगाने और एफआईआर करने जैसी कार्रवाई करे।
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और थिंक टैंक सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमैटिक चेंज (सीएएससी) के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने इस आवेदन में केंद्र और निर्वाचन आयोग को उन सभी लोगों का घर पर अनिवार्य पृथकवास सुनिश्चित कराने का निर्देश देने की मांग की है जिन्होंने पिछले एक हफ्ते में पश्चिम बंगाल में प्रचार किया हो। पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह की तरफ से अधिवक्ता विराग गुप्ता ने पिछली माह चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। गुप्ता अनमास्किंग वीआईपी किताब के लेखक भी है। इस किताब में उन्होंने कोरोना काल में कानून के दोहरे रवैये को प्रमाण सहित दर्शाया है।
अधिवक्ता गुप्ता ने कहा कि सिंह ने इस आवेदन में दावा किया है कि राजनीतिक दलों, उनके नेताओं और प्रचारकों द्वारा महामारी के दौरान रैलियों, जनसभाओं और रोड शो में मास्क पहनने के नियम का उल्लंघन किया उन पर सख्ती से कार्रवाई की जाए। कुछ दिनों पहले ही चुनाव आयोग को इस मामले में एक कानूनी नोटिस भी भेजा गया था। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
दिल्ली हाईकोर्ट में डॉ. सिंह का पक्ष रखने वाले विराग गुप्ता ने कहते हैं, इस नई अर्जी में हाईकोर्ट से कहा गया है कि जो नेता और स्टार प्रचारक पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में प्रचार कर रहे थे ऐसे लोगों को अनिवार्य रूप से होम क्वारंटीन में भेजा जाए। इसके अलावा जिन नेताओं और स्टार प्रचारकों ने कोविड प्रोटोकाल जैसे मास्क और सामाजिक दूरी के नियम का उल्लंघन किया है। ऐसे सभी लोगों पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।
वह कहते हैं, जब दिल्ली में कार में सवार अकेले यात्री पर भारी जुर्माना लग रहा है, मध्यप्रदेश में मास्क नहीं पहनने पर लोगों को जेल भेजा जा रहा है, तो फिर वीआईपी लोगों के लिए कानून में छूट क्यों? न्यूज रिपोर्ट और नेताओं सोशल मीडिया अकाउंट के अनुसार जिन नेताओं ने बड़ी-बड़ी रैली और रोड शो किए हैं उस रैली और रोड मे उपस्थित प्रति व्यक्ति के अनुसार उस राजनीतिक दल से जुर्माना वसूल किया जाए।
गुप्ता ने आगे कहा, चुनाव आयोग ने लीगल नोटिस के बावजूद इस गैरकानूनी काम को रोकने की कोई कोशिश नहीं की। किसी भी रोड शो व रैलियों की अनुमति को निरस्त नहीं किया। जिसकी वजह से पांच चुनावी राज्यों और पूरे देश में कोरोना के संक्रमण का भयानक विस्तार हुआ। इसके लिए चुनाव आयोग के जिम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई होना चाहिए।
देश में वीआईपी कल्चर का अंत होना चाहिए। इसलिए दिल्ली हाईकोर्ट से मांग की गई है कि इन सभी मामलों में उचित आदेश पारित करें। जिससे आम जनता का कानून में भरोसा बढ़े और दोषियों को दंड मिल सके। मामले में सुनवाई 30 अप्रैल को होने की संभावना है।