सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल: UGC Guidelines और फाइनल ईयर परीक्षा मामले पर
आपको बता दें कि देशभर में स्नातक और परास्नातक फाइनल ईयर के लाखों छात्र अपनी परीक्षाओं और रिजल्ट के इंतजार में हैं।शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील श्याम दीवान ने शीर्ष अदालत से कहा था कि फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की हेल्थ भी उतनी ही अहमियत रखती है जितनी अन्य बैच के स्टूडेंट्स की रखती है। सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा था कि इन दिनों स्टूडेंट्स को ट्रांसपोर्टेशन व कम्युनिकेशन से जुड़ी काफी दिक्कतें आ रही हैं। महाराष्ट्र के कई कॉलेज क्वारंटाइन केंद्र के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं।विश्वविद्यलय अनुदान आयोग (UGC) की संशोधित गाइडलाइन्स और फाइनल ईयर परीक्षाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट दायर याचिकाओं की सुनवाई कल (18 अगस्त 2020 को) होगी। इससे पहले शुक्रवार (14 अगस्त 2020) को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई को 18 अगस्त के लिए टालने का फैसला लिया था।
इससे पहले गुरुवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से अपने हलफनामे में उच्चतम न्यायालय से कहा था कि विद्यार्थी के अकादमिक करियर में अंतिम परीक्षा महत्वपूर्ण होता है और राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 30 सितंबर तक अंत तक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से परीक्षा कराने को कहने वाले उसके छह जुलाई के निर्देश बाध्यकारी नहीं है।
यूजीसी ने कहा कि छह जुलाई को उसके द्वारा जारी दिशा-निर्देश विशेषज्ञों की सिफारिश पर अधारित हैं और उचित विचार-विमर्श कर यह निर्णय लिया गया। आयोग ने कहा कि यह दावा गलत है कि दिशा-निर्देशों के अनुसार अंतिम परीक्षा कराना संभव नहीं है।
दिल्ली और महाराष्ट्र में परीक्षाएं रद्द करने को यूजीसी ने बताया गलत
.उल्लेखनीय है कि 10 अगस्त को यूजीसी ने कोविड-19 महामारी के चलते दिल्ली और महाराष्ट्र सरकारों द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षा रद्द करने के फैसले पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह नियमों के विपरीत है। महाराष्ट्र सरकार के हलफनामे का जवाब देते हुए यूजीसी ने कहा कि यह कहना पूरी तरह से गलत है कि छह जुलाई को जारी उसका संशोधित दिशा-निर्देश राज्य सरकार और उसके विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी नहीं है। आयोग ने कहा कि वह पहले ही 30 सितंबर तक सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों द्वारा अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के लिए छह जुलाई को जारी दिशा-निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाबी हलफनामा दाखिल कर चुका है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 10 अगस्त को शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य सरकारें आयोग के नियमों को नहीं बदल सकती हैं, क्योंकि यूजीसी ही डिग्री देने के नियम तय करने के लिए अधिकृत है। मेहता ने न्यायालय को बताया कि करीब 800 विश्वविद्यालयों में 290 में परीक्षाएं संपन्न हो चुकी है जबकि 390 परीक्षा कराने की प्रक्रिया में हैं।