हरियाणा की वो 5 सीटें जहां बीजेपी की इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी 75 पार के इरादे से चुनावी मैदान में उतरी है, लेकिन हरियाणा के सियासी रणभूमि में बीजेपी के पांच दिग्गज मैदान में हैं, जिन्हें लेकर विपक्ष ने हरसंभव घेराबंदी करने की कोशिश की है. बीजेपी के इन पांचों उम्मीदवारों में कुछ विपक्ष के चक्रव्यूह को भेदने में सफल होते नजर आ रहे हैं तो कुछ के सामने मुश्किलें नजर आ रही हैं. फिलहाल राज्य में वोटिंग जारी है और 24 को नतीजे आएंगे.
करनाल, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर
महाभारत काल में राजा कर्ण की धरती रही करनाल पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर काबिज हैं. करनाल विधानसभा सीट पर अबकी बार एक लाख पार का नारा देकर खट्टर दूसरी बार किस्तम आजमा रहे हैं. खट्टर को घेरने के लिए जेजेपी ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को उतारा है, वहीं कांग्रेस ने त्रिलोचन सिंह पर दांव खेला है. हालांकि हरियाणा के सियासी माहौल में बीजेपी और मनोहर लाल खट्टर के हौसले बुलंद हैं. इसीलिए करनाल की जनता में जोश भरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था हम अबकी बार एक लाख पार का नारा ऐसे ही नहीं दे रहे हैं इसके पीछे हमारे पास ठोस आधार है. पिछली बार कांग्रेस और इनेलो के जो मजबूत प्रत्याशी रहे, वे सभी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और इस चुनाव में कमल खिलाने के लिए पूरी ताकत के साथ लगे हुए हैं. 2014 विधानसभा चुनाव में करनाल सीट पर बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर 82 हजार 485 वोट हासिल करके सत्ता पर विराजमान हुए थे. दूसरे नंबर पर निर्दलीय जय प्रकाश गुप्ता थे, जिन्हें 18 हजार 712 वोट मिले. उन्हें 63 हजार 773 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. करनाल विधानसभा सीट पर तीसरे नंबर पर इनेलो के मनोज वाधवा और चौथे नंबर पर कांग्रेस के सुरेंद्र नरवाल रहे थे.
टोहना, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, सुभाष बराला
हरियाणा के फतेहाबाद जिले की टोहाना विधानसभा सीट काफी हाई प्रोफाइल मानी जाती है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला यहां से विधायक हैं और दूसरी बार किस्तम आजमाने के लिए उतरे हैं. हालांकि लंबे समय तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. ऐसे में पार्टी ने अपने कद्दावर और पूर्व विधायक परमवीर सिंह पर एक बार फिर दांव लगाया है तो जेजेपी से देवेंद्र बबली ताल ठोक रहे हैं. वहीं, इनेलो ने राजपाल सैनी को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. टोहना विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का बोलबाला रहा है. यहां 1967 से अब तक हुए 13 चुनावों में 7 बार सत्ता कांग्रेस के पास रही है. बीजेपी के हालात इस सीट पर कभी भी अच्छे नहीं थे. 2014 से पहले तक हुए चुनावों में बीजेपी कभी दूसरे नंबर पर भी नहीं आई थी. लेकिन जाटलैंड की इस सीट पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और जाट नेता सुभाष बराला ने इतिहास रचा. उनकी जीत के साथ 2014 में यहां पर कमल खिला था. वहीं, कांग्रेस से 2004 और 2009 में चुनाव जीतने वाले परमवीर सिंह मैदान में हैं. ऐसे में भाजपा को कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर दिख रही है. अब देखना होगा कि सुभाष बराला यहां दोबारा कमल खिला पाते हैं या कांग्रेस की होगी वापसी.
अंबाला, कैबिनेट मंत्री, अनिल विज
भारतीय जनसंघ का जिन चुनिंदा सीटों पर प्रभाव रहा है उनमें से अंबाला कैंट भी एक है. यहां पंजाबी वोटरों का दबदबा है, यही वजह है कि सुषमा स्वराज से लेकर अनिल विज तक यहां बीजेपी का कमल खिलाने में कामयाब रहे हैं. 1996 से अनिल विज लगातार अंबाला कैंट सीट से विधायक बनते आ रहे हैं और बीजेपी ने एक बार फिर दांव लगाया है, जबकि कांग्रेस ने वेणु सिंगला अग्रवाल को उतारा है. दिलचस्प बात यह है कि अंबाला कैंट से जेजेपी के उम्मीदवार गुरपाल सिंह ने बीजेपी में शामिल होकर अनिल विज को समर्थन देते हुए अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया था, जिसके विपक्ष को बड़ा झटका लगा था. वहीं, दूसरी ओर इनेलो प्रत्याशी चौधरी निर्मल सिंह और अपनी बेटी चित्रा सरवारा के समर्थन का ऐलान कर दिया है. इस तरह से अंबाला कैंट की लड़ाई त्रिकोणीय बनती जा रही है.
रोहतक, हुड्डा के किले में मनीष ग्रोवर
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मजबूत दुर्ग माने जाने वाले रोहतक में बीजेपी महज एक सीट जीत पाई थी. वह सीट रोहतक विधानसभा सीट रही, जहां मनीष ग्रोवर कमल खिलाने में सफल रहे हैं. बीजेपी ने एक बार उन्हें मैदान में उतारा है, जबकि ग्रोवर को घेरने के लिए कांग्रेस ने बेबी बन्ना पर दांव खेला है. जेजेपी ने राजेंद्र सैनी और इनेलो ने पुनीत मायना को उतारा है. इस तरह से तीन पार्टियां पंजाबी समुदाय पर भरोसा जताया है. बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनाव में रोहतक सीट पर बीजेपी के मनीष ग्रोवर ने 57,718 वोट हासिल कर विधायक चुने गए थे. जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के भारत भूषण बत्रा थे, जिन्हें 46,586 वोट मिले थे और तीसरे नंबर रहे इनेलो के राज कुमार शर्मा को महज 3954 वोट मिले थे. मनीष ग्रोवर एक बार फिर कमल खिलाने उतरे हैं, लेकिन उनकी राह में विपक्ष ने कई काटें बिछा रखे हैं.
नारनौंद, वित्त मंत्री (हरियाणा), कैप्टन अभिमन्यु
हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री के बाद सबसे पावरफुल नेताओं में कैप्टन अभिमन्यु का नाम आता है. वह हिसार के नारनौंद विधानसभा सीट से एक बार फिर मैदान में उतरे हैं. जाटों का अच्छा खासा इस इलाके में प्रभाव है. वहीं, कांग्रेस ने बलजीत सिहाग पर दांव लगाया है. जेजेपी ने रामकुमार गौतम को उतारकर बीजेपी की मुसीबत बढ़ा दी है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में जेजेपी ने नारनौंद हलके में भाजपा से अधिक वोट लिए थे. बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से उतरे कैप्टन अभिमन्यु को 53 770, इनेलो के राज सिंह मोर को 48 009, निर्दलीय प्रत्याशी रहे राम कुमार गौतम को 34756 और कांग्रेस के राजबीर संधू 11213 वोट मिले थे.