मध्यप्रदेश में भी भाजपा का दर्द बनेंगे हार्दिक पटेल
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भोपाल । गुजरात में भाजपा की खिलाफत करने मैदान में उतरे पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के तेवर अभी कमजोर नहीं पड़े हैं। गुजरात चुनाव में उन्हें भले ही भाजपा को परास्त करने में सफलता नहीं मिली हो लेकिन, अब वे मध्यप्रदेश में होने वाले 2018 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे ।
पटेल ने कहा कि मप्र में वे कांग्रेस का साथ नहीं देंगे न ही उन्हें वोट देने की अपील करेंगे । उन्होंने कहा कि वे आने वाले एक महीने में समाज के लोगों से बातचीत कर मप्र में सक्रियता को लेकर अपनी रणनीति को अंतिम रूप देंगे। पाटीदार अमानत आंदोलन समिति की बैठक में इस पर चर्चा होगी।
मैं जरूर आऊंगा- विधानसभा चुनाव 2018 को अभी देर है। मैंने समाजहित का काम करने का बीड़ा उठाया है। मप्र भी जरूर आऊंगा और भाजपा के खिलाफ प्रचार करूंगा।
कांग्रेस का साथ नहीं – न मैं गुजरात में कांग्रेस के साथ था न ही मप्र में कांग्रेस के साथ रहूंगा। जो भी समाजहित की बात करेगा, हम उसके साथ हैं।
मप्र की रणनीति समाज तय करेगा – मप्र में जल्द ही सक्रियता बढ़ाई जाएगी। क्या रणनीति होगी, कब से दौरे होंगे, ये सारी बातें समाज के लोग मिल-बैठकर तय करेंगे।
मंदसौर किसान गोलीकांड का विरोध करेंगे-मंदसौर किसान आंदोलन में निर्दोष किसानों पर गोलियां चलाई गईं। मैं भी इसके विरोध में शाजापुर गया था। हम फिर किसानों के हक में आंदोलन खड़ा करेंगे।
हमारा पूरा समाज हार्दिक के साथ -महेंद्र पाटीदार
मप्र पाटीदार समाज के अध्यक्ष महेंद्र पाटीदार के मुताबिक मध्यप्रदेश में 24 फीसदी जनसंख्या पाटीदारों की है। जिसमें कुल्मी पटेल और कुल्मी पाटीदार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम सौ फीसदी हार्दिक पटेल के साथ हैं। पाटीदार समाज का दावा है कि प्रदेश की 58 सीटों को पाटीदार वोट प्रभावित करते हैं। जो ज्यादातर मालवा-निमाड़ सहित रीवा और सागर संभाग में निवास करते हैं। पाटीदार के मुताबिक प्रदेश में 1 करोड़ 42 लाख लोग पाटीदार समाज के हैं।
हमारे समाज से कोई मंत्री नहीं
मध्यप्रदेश पाटीदार समाज इन दिनों सरकार से खफा है। उनका कहना है कि पिछले कई सालों से हमारे समाज के किसी नेता को मंत्री नहीं बनाया गया। सरकार ने हमें ओबीसी का दर्जा तो दे रखा है लेकिन भोपाल, सीहोर और राजगढ़ में सरकार हमें ओबीसी नहीं मानती है। फसल के दाम नहीं मिल रहे हैं। महेंद्र पाटीदार के मुताबिक किसानों ने पहले 5 हजार रुपए तक सोयाबीन बेचा पर अब 2 हजार में बेचना पड़ रहा है। फसल के आधे दाम मिल रहे हैं जबकि खाद बीज के दाम दिन पर दिन बढ रहे हैं।