पूर्व CJI रंजन गोगोई ने राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ ली, विपक्ष का वॉकआउट

नई दिल्ली । भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने गुरुवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। जैसे ही गोगोई शपथ लेने के लिए निर्धारित स्थान पर पहुंचे, विपक्षी सदस्यों ने नारे लगाने शुरू कर दिए। सभापति एम. सभपति वेंकैया नायडू ने सांसदों के व्यवहार को असंतोषजनक बताया। विपक्ष ने सदन से वॉकआउट भी किया।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि इससे पहले भी अलग-अलग क्षेत्रों से कई गणमान्य लोगों ने राज्यसभा की शोभा बढ़ाई है। इसमें कई पूर्व मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं। आज राज्यसभा के सदस्य के तौर पर शपथ लेने वाले गोगोई निश्चित तौर बेहतर योगदान देंगे। विपक्षी सांसदों के सदन से वॉकआउट करने को उन्होंने अनुचित बताया।
बता दें कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया है। गोगोई देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश थे। वे इस पद पर तीन अक्टूबर, 2018 से 17 नवंबर, 2019 तक रहे। वर्षो से लंबित अयोध्या विवाद में नौ नवंबर, 2019 को गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाया था। इसके अलावा उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने कई और मामलों में फैसले सुनाए थे। इसमें राफेल लड़ाकू विमान सौदा और सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले शामिल हैं।
प्रधान न्यायाधीश का पद छोड़ने से पहले क्या बोले थे गोगोई
गोगोई ने प्रधान न्यायाधीश का पद छोड़ने से पहले कहा था कि भारतीय अदालतों में लंबित मामलों का इस्तेमाल इस संस्थान को कमजोर करने के लिए किया गया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा था कि उनके दिलोदिमाग का एक हिस्सा हमेशा सुप्रीम कोर्ट के साथ रहेगा।
गोगोई के राज्यसभा में मनोनयन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
मानवाधिकार संगठन ‘मानुषषी’ की संस्थापक मधु किश्वर ने रंजन गोगोई के राज्यसभा में मनोनयन को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके चुनौती दी है। इस याचिका में गोगोई के राज्यसभा में मनोनयन से संबंधित अधिसूचना को रद करने की मांग की गई है। इसमें यह भी कहा गया है गोगोई के राज्यसभा में मनोनयन से वह काफी व्यथित हैं, क्योंकि यह उच्च स्तर पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता से समझौता है।
कांग्रेस ने सरकार की आलोचना, बार काउंसिल ने फैसले का किया स्वागत
कांग्रेस ने गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनित करने को लेकर सरकार की आलोचना की है। राष्ट्रपति द्वारा उन्हें सीजेआई के पद से रिटायर होने के लगभग चार महीने बाद सोमवार को उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया। वहीं बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनित करने के फैसले को सही ठहराया है। बार काउंसिल ने कहा है कि इससे ‘विधायिका और न्यायपालिका के बीच समन्वय बनाने में मदद मिलेगी।