Namaste Trump: दिल्ली के सरकारी स्कूल में आएंगी मेलानिया ट्रंप, पर मौजूद नहीं रहेंगे सीएम केजरीवाल
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नई दिल्ली । अपने दो दिवसीय भारत दौरे के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप 25 फरवरी को दिल्ली के सरकारी स्कूल में ‘हैप्पीनेस क्लास’ में शामिल होंगी। वह एक घंटे इस स्कूल में मौजूद रहकर हैप्पीनेस क्लास को लेकर अपनी जिज्ञासा शांत करेंगीं। इस दौरान शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी भी मौजूद रह सकते हैं।
वहीं, दिल्ली सरकार के सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया इस दौरान मौजूद नहीं रहेंगे, जब मेलानिया स्कूल में हैप्पीनेस क्लास का जायजा ले रही होंगीं। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान वह अन्य कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
केंद्र सरकार की सूची में सीएम-डिप्टी सीएम का नाम नहीं
यह भी जानकारी सामने आ रही है कि केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई सूची में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम नहीं है, वहीं इसको लेकर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
सुरक्षा कारणों से स्कूल का नाम सार्वजनिक नहीं
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि सुरक्षा कारणों से दिल्ली के उस सरकारी स्कूल का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है, जिसमें हैप्पीनेस क्लास का जायजा लेने मेलानिया ट्रंप मंगलवार को जाएंगीं।
वहीं, शनिवार को पत्रकार वार्ता के दौरान इस बाबत पूछे जाने पर कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पत्नी मेलानिया के स्कूल की दौरे से सीएम केजरीवाल और डिप्टी सीएम को दूर रखे जाने के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।
जानिए क्या है हैप्पीनेस क्लास
दिल्ली सरकार के अधीन सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम (खुशी के पाठ्यक्रम) को कई विशेषज्ञों की तरफ से सराहना मिली है। अब अमेरिका की प्रथम महिला व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप सरकारी स्कूलों में जाकर इसे देखने वाली हैं। दिल्ली सरकार की तरफ से वर्ष 2018 में इस पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
हैप्पीनेस क्लास में आठवीं कक्षा तक के बच्चों को इसमें शामिल किया जाता है। इसमें 45 मिनट का हैप्पीनेस पीरियड होता है। बच्चे भी इस पाठ्यक्रम से काफी उत्साहित होते हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के अनुसार इससे बच्चों का तनाव कम होता है और इस योजना से वह बहुत खुश नजर आते हैं। इस योजना का उद्घाटन दलाई लामा ने किया था।