बिना करार के यूरोपियन यूनियन से हटने के पक्ष में नहीं हैं ब्रिटिश सांसद
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लंदन । प्रधानमंत्री टेरीजा मे द्वारा दो साल की कड़ी मशक्कत के बाद तैयार किए गए ब्रेक्जिट करार को खारिज करने वाले ब्रिटिश सांसद बिना किसी करार के यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में नहीं हैं। यही कारण है कि बिना करार ब्रेक्जिट को रोकने के लिए सांसदों द्वारा चलाया जा रहा अभियान गति पकड़ने लगा है। विपक्षी लेबर पार्टी ने इस अभियान को पूरा समर्थन जताया है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बुरे राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा ब्रिटेन इस साल 29 मार्च को रात ग्यारह बजे औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा। ब्रिटेन के पास लगभग दो महीने का वक्त बचा है। लेकिन अलगाव के बाद संबंधों को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं हो पाई है।
प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने यूरोपीय संघ केनेताओं के साथ लंबी बातचीत के बाद जो ब्रेक्जिट करार तैयार किया था, उसे ब्रिटिश संसद ने भारी बहुमत से खारिज कर दिया है। नए प्रस्ताव पर अभी ब्रिटिश सांसदों में किसी तरह की सहमति नहीं बनती दिख रही है। ऐसे में ब्रिटेन के बिना किसी करार के ही यूरोपीय संघ से अलग होने की संभावना बढ़ने लगी है।
लेकिन, मे के करार को खारिज करने वाले सांसद जानते हैं कि बिना किसी करार के यूरोपीय संघ से अलग होना देश के लिए भयावह साबित होगा। इसलिए विपक्षी लेबर पार्टी के सांसद वेटी कूपर ने संसद में संशोधन प्रस्ताव पेश किया है। अगर यह पारित हो जाता है तो प्रधानमंत्री मे को नए ब्रेक्जिट करार के लिए 26 फरवरी तक का वक्त मिल जाएगा। अगर उनके प्रस्ताव को संसद पारित कर देता तो ठीक नहीं, तो सांसद ब्रेक्जिट को टालने के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।
लेबर पार्टी में दूसरे सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले सांसद जॉन मैकडोनेल ने बीबीसी से कहा कि यह संशोधन संवेदनशील है और उनकी पार्टी उसका पूरी तरह से समर्थन कर सकती है। उन्होंने कहा कि मे की कंजरवेटिव पार्टी के कम से कम नौ सांसदों ने भी सार्वजनिक रूप से उसके समर्थन का एलान किया है।
यूरोपीय संघ के नेता भी नहीं चाहते हैं कि ब्रिटेन बिना किसी करार से संघ से अलग हो। जर्मनी जैसे यूरोपीय संघ के बड़े देशों को ब्रिटेन के बिना किसी करार के अलग होने से नौकरियों पर बुरा असर पड़ सकता है। ब्रेक्जिट पर ईयू के वार्ताकार माइकल बार्नियर ने ब्रसेल्स में उद्यमियों और श्रमिक संगठनों की एक सभा में कहा कि पहले की तुलना में ब्रिटेन के बिना करार के अलग होने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि इसे रोका जा सकता है।
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने भी कहा कि वह ब्रिटेन के व्यवस्थित अलगाव के पक्ष में हैं, लेकिन ऐसा करना अब लंदन के हाथ में है।
वहीं, ब्रिटिश पीएम मे ने तो पहले ही बिना करार के अलगाव को देश के लिए त्रासदीपूर्ण बता चुकी हैं। उनका कहना है कि ऐसा होने से ब्रिटिश लोकतंत्र में लोगों का भरोसा कम होगा। मे ईयू से ही कुछ और रियायत पाने की कोशिशों में हैं। उत्तरी आयरलैंड को लेकर भी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिशें हो रही हैं।
भारत की आशंका दूर करेंगी कैथरीन
ब्रेक्जिट को लेकर ब्रिटेन में जारी असमंजस के बीच शक्तिशाली सिटी ऑफ लंदन कॉर्पोरेशन की नीति प्रमुख कैथरीन मैक गिनिस भारत के दौरे पर आ रही हैं। इनके दौरे का प्रमुख उद्देश्य लंदन और भारत के बीच वित्तीय और पेशेवर सेवाओं के क्षेत्र में संबंधों को मजबूती देना है।
कैथरीन 27 से 30 जनवरी के बीच भारत का दौरा करेंगी। वह ब्रेक्जिट और यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने को लेकर चिंतित भारतीय वित्त संस्थाओं को यह भरोसा भी दिलाएंगी कि इससे उनके व्यवसाय को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।