राहुल गांधी से ED की पूछताछ के विरोध में कांग्रेस का बवाल, भाजपा बोली- हिंसा की आड़ में भ्रष्टाचार छुपाने की कोशिश
नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ईडी ने लगातार तीसरे दिन भी पूछताछ की। इसके विरोध में कांग्रेस ने सड़कों पर जमकर बवाल काटा। कांग्रेस नेता को ईडी के नोटिस को लेकर कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच जुबानी जंग भी जारी है।
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। भाजपा नेता ने कहा कि जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया और उन्हें लगा कि हिंसा, आगजनी की कुछ घटनाएं हुई। तब उन्होंने कहा कि हमारा इससे कोई भी संबंध नहीं है, तब भी हम अपने आंदोलन को समाप्त करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘आपने सुना होगा कि सत्ता में रहते हुए सत्ताधारी पार्टी के ऊपर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप आजादी के बाद से लग चुके हैं, परंतु अपनी पार्टी के अंदर भ्रष्टाचार, पार्टी की संपत्ति और धन का हरण कर लेना यह कांग्रेस का विचित्र उदाहरण है।’
‘हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई कार्रवाई’
उन्होंने कहा कि ये यह विषय UPA सरकार के दौरान 1 नवंबर 2012 को शुरू हुआ था। इस विषय का सरकार की किसी भी एजेंसी द्वारा कार्रवाई नहीं हुई, हाइकोर्ट के निर्देश के ऊपर कार्रवाई हुई और हाइकोर्ट के निर्देश पर ही उन्हें जमानत लेनी पड़ी।
‘हिंसा की आड़ में भ्रष्टाचार छुपाने की कोशिश’
भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि हिंसा की आड़ लेकर भ्रष्टाचार को छुपाने का प्रयास हो रहा है, ये कांग्रेस पार्टी का कितना छोटापन नेतृत्व का दिखाई पड़ रहा है। ये साफ दिख जाता है कि गांधी के दौर से सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी तक आते-आते कांग्रेस कितनी छोटी, कितनी बौनी होती चली जा रही है।
उन्होंने कहा कि जिस पार्टी के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों ने सरकार में रहते हुए अपने को ही भारत रत्न आत्मार्पित कर लिया था। उसी परिवार के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सहयोग से बनी हुई संस्था की सारी संपत्ति और धन अपने को अर्पित कर लिया।
हम ये पूछना चाहते हैं कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपने राज्य सरकारों का कार्य छोड़कर विगत तीन दिनों से दिल्ली में क्या कर रहे हैं? क्या ये उन राज्य सरकारों में जिन्होंने कांग्रेस को लोकतांत्रिक तरीके से चुना था, उनके साथ ये धोखा नहीं है? राहुल गांधी जी आज न कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और ना नेता प्रतिपक्ष हैं, वो केवल एक सांसद हैं। यह प्रमाणित करता है कि कांग्रेस में पद और कद दोनों का कोई महत्व नहीं है, ये केवल और केवल परिवार की पार्टी है ये साबित हो गया है।