आजादी के 70 साल बाद पहली बार सवर्ण समाज(गैरआरक्षित) में ऐसी एकता देखी – एहसान तो मानना होगा
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आजादी के 70 साल बाद पहली बार सवर्ण समाज(गैरआरक्षित ) में ऐसी एकता देखी गई। 6 सितंबर को बिना किसी नेतृत्व के जिस तरह अभूतपूर्व बंद रहा उसने सभी राजनैतिक दलो खासतौर से भाजपा के मुगालते दूर कर दिए जो सामान्य वर्ग को अपने बाप की बपौती मानकर चल रहे थे। सवर्ण समाज ने अभी तो शांति के साथ अपनी ताकत दिखाई तो यह हालात है आगे यह संगठित शक्ति क्या करेगी यह समझा जा सकता है। यह एकता अब देश में राजनैतिक व सामाजिक परिवर्तन लाकर रहेगी यह तय है। आजादी के बाद जो सवर्ण समाज एकजुट नही हो पाए थे उन्हे एकजुट करने के लिए हमें कई महान हस्तियो का अहसान मंद होना है।
सबसे पहला अहसान तो 56 इंच के सीने वाले हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का है जिन्होने एस सी एस टी एक्ट के संबंध में दिए देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ही बदल दिया।सर्वोच्च न्यायालय ने क्या गलत किया था उसने तो न्याय ही किया था कि एससी एसटी एक्ट में प्रकरण दर्ज करने के पहले पुलिस जांच करे और जांच के बाद प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारी करे। लेकिन मोदी जी ने 20 प्रतिशत आरक्षितो को खुश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही बदल दिया। अब फिर पहले जैसे हालात है कि किसी भी आरक्षित वर्ग ने थाने में जाकर बोला कि सामान्य वर्ग के वयक्ति ने उसे जातिसूचक गाली दी है बस उसका बोलना भर है और इधर प्रकरण दर्ज और सीधे 6 महिने की जेल। यह कहा का न्याय है । लेंकिन इसी अन्याय ने सामान्य वर्ग को न केवल एकजुट कर दिया साथ ही इस सच से भी सामना करा दिया कि भाजपा की सोच क्या है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी का सबसे पहले धन्यवाद।
दूसरा अहसान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का है जिन्होने खुले आम घोषणा की आरक्षण हमेशा जारी रहेगा और आरक्षित वर्ग भी इसे समाप्त करने को कहेगा तो भी भाजपा उसे खत्म नही करेगी। उनके इस बयान ने भी सवर्ण समाज का दिमाग हिलाकर रख दिया।वोट के लिए किस हद तक भाजपा गिर सकती है यह समझ में आ गया। कांग्रेस व अन्य राजनैतिक दलो की जातिगत राजनीति से पहले से ही परिचित सवर्ण समाज को पहली बार अहसास हुआ कि भाजपा की भी सोच आरक्षण व आरक्षित वर्ग को लेकर कांग्रेस व अन्य राजनैतिक दलो से अलग नही है। तब सामान्य वर्ग को लगा कि बिना एकजुट हुए और संघर्ष किए बिना इस देश में न्याय मिलना मुशिकल है।
तीसरा अहसान मध्यप्रदेश के जननायक कहलवाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है। जिन्होने अपाक्स संगठन के मंच से एक कदम आगे जाकर खुले आम घोषणा की थी कि किसी माई के लाल में दम नही कि वह आरक्षण खत्म करा सके । प्रदेश में वही होगा जो मै मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहेगा। उन्होने तो यह भी कहा अदालत कोई भी फैसला दे पदौन्निति में आरक्षण देने के लिए रास्ता निकाल लिया जायेगा। मुख्यमंत्री केइस दंभ से सवर्ण समाज के माई के लाल जाग गए और यही कारण है कि यह एकजुटता प्रदेश से ही शुरू हुई। इसलिए सबसे बड़ा अहसान तो शिवराज जी का ही है। हमने अहसान मान लिया अब सब राजनैतिक दल खासतौर से भाजपा यह जान ले कि अगर उन्होने सवर्ण समाज को लेकर जल्द ही मानसिकता नही बदली तो उनकी दुकाने अब बंद होना तय है। सवर्ण समाज की यह संगठित शक्ति आगे क्या क्या बदलने की ताकत रखती है यह समझाने की नही समझने की जरूरत है। इसलिए सभी के लिए यह अच्छा होगा कि वह यह बात जल्द समझ ले…