चीन ने अपने नागरिकों के ताइवान जाने पर लगाई रोक, जानें दोनों देशों के बीच क्यों बिगड़े संबंध
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बीजिंग । चीन ने ताइवान पर दबाव बढ़ाते हुए अपने नागरिकों के इस स्वशासित द्वीपीय क्षेत्र की यात्रा करने पर रोक लगा दी है। चीन ने कहा है कि वह गुरुवार से ताइवान दौरे के लिए व्यक्तिगत यात्रा परमिट जारी नहीं करेगा। चीन के इस कदम से ताइवान की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।
चीन के पर्यटन मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि ताइवान के साथ संबंधों में आए मौजूदा तनाव के चलते गुरुवार से व्यक्तिगत यात्रा परमिट जारी नहीं किए जाएंगे। चीनी नागरिकों को ताइवान जाने के लिए सरकार से अनुमति लेने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए एक कार्यक्रम के तहत चीनी नागरिक ताइवान के 47 शहरों में यात्रा परमिट पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गई है।
इस कारण बिगड़े संबंध
चीन के ताइवान के साथ संबंध साल 2016 में तब बिगड़ गए जब राष्ट्रपति साई इंग-वेन सत्ता में आई। उनकी पार्टी ने ताइवान को चीन के हिस्से के तौर पर मान्यता देने से इन्कार कर दिया था।
बड़ी संख्या में ताइवान जाते हैं चीनी
हर साल बड़ी संख्या में चीनी नागरिक ताइवान की यात्रा करते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल की पहले छमाही में 17 लाख से ज्यादा चीनी नागरिकों ने ताइवान की यात्रा की थी। पिछले साल 27 लाख चीनी पर्यटक ताइवान पहुंचे थे।
ताइवान को लेकर शी चिनफिंग ने कही थी ये बात
चीन और ताइवान के बीच काफी समय से तनाव है। पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ताइवान को लेकर दो बड़ी बातें कहीं थी। चिनफिंग ने कहा था कि ताइवान के सभी लोगों को साफतौर पर इस बात का अहसास होना चाहिए कि ताइवान की आजादी ताइवान के लिए सिर्फ गंभीर त्रासदी लाएगी। हम शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए व्यापक स्थान बनाने को तैयार है, लेकिन हम अलगाववादी गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि एकीकरण के लिए वह सेना का इस्तेमाल न करने का वादा नहीं कर सकते और सभी जरूरी विकल्प को सुरक्षित रखते हैं। यह बात उन्होंने बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ पीपल्स में ताइवान नीति से जुड़े कार्यक्रम के दौरान कही थी।
गौरतलब है कि चीन में दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1946 से 1949 तक राष्ट्रवादियों और कम्युनिस्ट पीपुल्स आर्मी के बीच गृह युद्ध हुआ था। 1949 में खत्म हुए इस युद्ध में राष्ट्रवादी हार गए और चीन की मुख्यभूमि से भागकर ताइवान नाम के द्वीप पर चले गए। उन्होंने ताइवान को एक स्वतंत्र देश घोषित किया और उसका आधिकारिक नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना रख दिया गया।