NPA में गिरावट, 1.8 लाख करोड़ वसूलेंगे बैंक

नई दिल्ली । बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) वसूलने की सरकार की कोशिशें धीरे-धीरे रंग ला रही हैं। सरकारी बैंकों के एनपीए में कमी आ रही है और रिकवरी भी बढ़ रही है। यही वजह है कि बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में 180,000 करोड़ रुपये की रिकवरी का लक्ष्य रखा है। हालांकि फंसे कर्ज की गंभीर स्थिति के चलते रिजर्व बैंक ने जिन सरकारी बैंकों को ‘प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन’ (पीसीए) श्रेणी में डाला था, उन्होंने अब पीसीए नियमों में ढील देने की मांग की है। साथ ही कुछ बैंकों ने पूंजी आधार मजबूत बनाने की मांग की है।
वहीं सरकार ने बैंकों को जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों तथा फ्रॉड के मामलों में प्रभावी कार्रवाई करने को कहा है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को सरकारी बैंकों के प्रदर्शन का जायजा लिया जिसमें ये तथ्य सामने आए। जेटली की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में चालू वित्त वर्ष के लिए एक कार्ययोजना भी तय की गयी। इसके तहत बैंकों ने 180,000 करोड़ रुपये की रिकवरी का लक्ष्य रखा है जबकि पिछले साल बैंकों ने 74,562 करोड़ रुपये की कर्ज वसूल की थी। साथ बैंकों की नॉन-कोर परिसंपत्तियों को बेचकर 18,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है ताकि सरकारी बैंकों का पूंजी आधार मजबूत बनाया जा सके।
जेटली ने कहा कि अच्छी बात यह है कि एनपीए की राशि अब घटने लगी है और रिकवरी बढ़ रही है। सरकार ने दिवालियेपन पर जो कानून बनाया है उसके भय से लोग कर्ज चुकाने के लिए आगे आ रहे हैं। बैठक में तय किया गया कि पीसीए में डाले गए बैंकों के प्रदर्शन की हर तिमाही पर समीक्षा की जाएगी और उन्हें कुल कर्ज में जोखिम वाले कर्ज के अनुपात में छह प्रतिशत अंक की कमी करनी होगी। साथ ही उन्हें लागत और आय अनुपात में भी आठ प्रतिशत की कमी करनी होगी। आरबीआइ ने 11 सरकारी बैंकों को पीसीए श्रेणी में डाला था जिसके चलते उन पर कई तरह की बंदिशें लग गयी हैं। बैठक में यह भी तय हुआ कि सरकारी बैंक मार्च 2019 तक विदेशों में स्थित 57 शाखाओं और कार्यालयों को बंद करने या दो-तीन शाखाओं को मिलाकर एक करके विदेशी ऑपरेशन को तर्कसंगत बनाएंगे।
वहीं बैंकों को 50 करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए के मामलों में फर्जीवाड़ा पकड़ने और कार्रवाई शुरू करने के लिए दिसंबर 2018 तक का वक्त दिया गया है। इसी तरह बैंक दिसंबर 2018 तक ऐसा तंत्र भी बनाएंगे जिससे कोई खाता एनपीए बने, इससे पहले ही चेतावनी के संकेत मिल जाएं ताकि समय पर उपाय किए जा सके। इसके लिए बैंकों की शाखाओं में वैधानिक ऑडिट को स्वतंत्र बनाया जाएगा और इसमें ऑडिटर की जो भी टिप्पणियां होंगी, उन पर समयबद्ध तरीके से कार्रवाई की जाएगी। लोन खाता एनपीए होने से पहले व्यक्तिगत गारंटी को भी कार्यान्वित किया जाएगा।
इसके अलावा उधार लेने वाली कंपनियों और उसके प्रमोटरों पर भी लगातार नजर रखी जाएगी। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बैंक 50 करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए को स्टे्रस असेट मैनेजमेंट कंपनी को हस्तांतरित कर देंगे। सभी एनपीए का एक डाटा बेस बनाया जाएगा और डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल यानी डीआरटी में दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। जो परिसंपत्तियां नीलाम की जा सकती हैं उनका डाटाबेस बनाया जाएगा तथा उसे सक्रियता से प्रचारित भी किया जाएगा।
वित्तीय समावेशी अभियान बैठक में यह भी तय किया गया कि बैंक वित्तीय समावेश अभियान को आगे ब़ढ़ाते हुए अक्टूबर तक 8808 गांवों में बैंक मित्र तैनात करेंगे। वामपंथी अतिवाद से प्रभावित 72 जिलों में शाखाएं खोलेंगे और एस्पिरेशनल जिलों में 124 शाखाएं या बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट तैनात करेंगे। इसके अलावा सरकारी बैंक ‘वन नेशन, वन कार्ड’ के लिए नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड में भी आगे बढ़कर भाग लेंगे। अक्टूबर 2018 तक सरकारी बैंकों की शाखाओं में 13,639 आधार एनरॉलमेंट सेंटर खोलेंगे।
रघुराम राजन पर कटाक्ष पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में जेटली ने आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जरूरत के समय कार्रवाई करने से आसान पोस्टमार्टम करना है। राजन ने एक पत्र लिखकर एनपीए समस्या और बैंकों में जवाबदेही के मुद्दे पर सवाल उठाया था।