Bank Strike: सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में दूसरे दिन भी हड़ताल, सेवाओं पर पड़ सकता है असर
सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में दूसरे दिन भी हड़ताल रही। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021- 22 के बजट भाषण में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है। सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर चुकी है। बैंक की बहुलांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेची गई। इसके अलावा 14 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय भी किया गया है। बैंकों की नौ कर्मचारी और अधिकारी यूनियनों के संयुक्त मंच ने दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। सरकारी बैंकों में हड़ताल से ग्राहकों को नकदी निकालने, धन जमा करने, चेक क्लीयरेंस और प्रेषण सेवाओं में परेशानी हो सकती है।
नौ बैंक यूनियनों के संयुक्त मंच ‘यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस’ (यूएफबीयू) ने 15 और 16 मार्च को बैंकों में हड़ताल का आह्वान किया है। इन यूनियनों ने सोमवार को कहा कि बैंकों के करीब 10 लाख कर्मचारी हड़ताल पर रहे। उन्होंने अपनी हड़ताल को सफल बताया।
आल इंडिया बैंक एम्पलायीज एसोसियेशन (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा, हड़ताल के आह्वान पर बैंकों के कर्मचारी और अधिकारियों ने हड़ताल में भाग लिया। उन्होंने हड़ताल को पूरी तरह सफल बताया। हड़ताल के कारण सामान्य बैंकिंग सेवायें प्रभावित रहीं।
महाराष्ट्र में दिख रहा है असर
हड़ताल के दूसरे दिन भी महाराष्ट्र में बैंक सेवाओं पर असर दिखाई दिया। हड़ताल के दूसरे दिन बैंक सेवाओं से जुड़े करीब 50 हजार कर्मचारी, अधिकारी हड़ताल पर रहे। बेंकों से नकदी निकालने, चेक क्लीयरेंस और दूसरे कार्यों पर असर देखा गया। हड़ताल के पहले दिन 15 मार्च को करीब दो करोड़ चेक की क्लीयरेंस प्रभावित हुई हैं जिनमें 16,500 करोड़ रुपये तक भुगतान अटक गया। पहले दिन कई बैंकों के एटीएम में नकदी भी समाप्त हो चली थी। अकेले मुंबई में ही करीब 86 लाख चेक और दूसरे उपकरणों को क्लीयर नहीं कर पाये जिसमें 6,500 करोड़ रुपये का भुगतान आगे नहीं हो पाया।