कौन हैं नीलम गोरे जो उद्धव के साथ होंगी शिवसेना की एमएलसी कैंडिडेट
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उद्धव ठाकरे को अपने मुख्यमंत्री पद पर बरकरार रहने के लिए 27 मई से पहले दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य बनना अनिवार्य है. ऐसे में एमएलसी के लिए उन्हें पार्टी ने कैंडिडेट बनाया है जबकि नीलम गोरे विधान परिषद की उपसभापित के पद पर थीं. गोरे की 24 अप्रैल को सदस्यता समाप्त हो चुकी है, जिसके चलते पार्टी ने उन पर एक बार फिर दांव लगाया है.
बता दें कि नीलम गोरे एक भारतीय राजनीतिज्ञ और महाराष्ट्र से शिवसेना की उपनेता हैं. इसके अलावा नीलम महाराष्ट्र विधान परिषद की उपाध्यक्ष और महाराष्ट्र विधान परिषद की सदस्य भी रही हैं. वो पहले भी साल 2002, 2008 और 2014 में लगातार तीन बार विधान परिषद की सदस्य के तौर पर चुनी गई थीं.
डॉ. नीलम को शिवसेना का प्रवक्ता भी बनाया गया है, इसके अलावा सोशल मीडिया पर वो सोशल एक्टिविस्ट और स्त्री आधार केंद्र के संस्थापक के तौर पर भी अपनी पहचान लिखती हैं. नीलम मूल रूप से पुणे की रहने वाली हैं. उनके शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो उन्होंने BSAM की डिग्री ली है जो कि एक आयुर्वेदिक डॉक्टर की डिग्री होती है. उन्होंने नंददीप विद्यालय मुंबई और आरए पोद्दार मेडिकल कॉलेज, वर्ली, यूनिलीवर ऑफ बॉम्बे से 1978 में अपनी पढ़ाई की है.
बता दें कि महाराष्ट्र में 9 विधान परिषद (एमएलसी) की सीटों पर 21 मई को चुनाव होने वाले हैं. इन 9 में से 5 सीटें शिवसेना-एनएसपी-कांग्रेस गठबंधन का जीतना तय माना जा रहा है और छठी सीट जीतने के लिए छोटे दलों को साधने की कवायद हो रही है. वहीं, बीजेपी भी 9 में से 4 सीटें जीतने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. इसी चुनाव में उद्धव ठाकरे विधान परिषद की सदस्यता लेकर अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को बरकरार रखेंगे.
शिवसेना-एनएसपी-कांग्रेस गठबंधन महाविकास अघाड़ी के हिस्से में आने वाली पांच सीटों में से दो-दो शिवसेना-कांग्रेस को और एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को मिल सकती है. शिवसेना ने अपने हिस्से की दो सीटों में से एक पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दूसरी सीट के लिए नीलम गोरे को उम्मीदवार बनाने की मंगलवार को घोषणा की है. उद्धव अपने राजनीतिक करियर का पहला चुनाव लड़ रहे हैं.