Kamal Nath Cabinet : मध्यप्रदेश में नई रेत खनन नीति मंजूर, 2 साल के लिए ठेके पर देंगे खदानें
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भोपाल। प्रदेश सरकार ने सोमवार को भाजपा सरकार की रेत खनन नीति को पलटते हुए नई रेत खनन नीति को मंजूरी दे दी। इसमें पंचायतों से रेत खनन के अधिकार वापस लेते हुए खदानों को समूह में नीलाम करने का प्रावधान है। इससे सरकार को सालाना 900 करोड़ रुपए राजस्व मिलने की उम्मीद है।
बैठक में जब यह नीति रखी गई तो मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा, महेंद्र सिंह सिसोदिया और ओमकार सिंह मरकाम ने खदानें नीलाम करने से ठेकेदारों के समूह बनने और रेत महंगी होने का मुद्दा उठाया। इसका जवाब देते हुए खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा कि नीलामी से प्रतिस्पर्धा होगी। इससे दाम कम रहेंगे। बंद पड़ी 30 फीसदी खदानों को भी शुरू करेंगे। इससे आपूर्ति बढ़ेगी तो दाम नियंत्रण में रहेंगे। उन्होंने मंत्रियों से पूछा कि क्या इसके अलावा आपके पास कोई और विकल्प है तो मंत्री चुप रहे।
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि रेत खदानों को पंचायतों से लेकर खनिज विकास निगम ऑनलाइन नीलाम करेगा। इसमें खदानों का समूह बनाकर नीलामी की जाएगी। खदानें दो साल के लिए दी जाएंगी और दूसरे साल राशि में 20 फीसदी की वृद्धि होगी। नर्मदा नदी पर स्थित खदानों में मशीनों से उत्खनन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
अन्य नदियों की पांच हेक्टेयर तक की खदानों में मशीनों का उपयोग हो सकेगा। परिवहन ट्रांजिट पास के जरिए होगा। रेत खनन के अवैध उत्खनन पर रोक लगेगी। बंद खदानों को शुरू किया जाएगा। इससे राजस्व मिलेगा। रेत के दाम न बढ़ें, इस पर नजर रखी जाएगी। सरकारी कामों के लिए रेत नि:शुल्क मिलेगी। किसान, ग्रामीण, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को व्यक्तिगत कामों के लिए सालभर में दस घनमीटर रेत नि:शुल्क मिलेगी। पंचायतों को अभी तक 50 रुपए घनमीटर रॉयल्टी मिल रही थी। इसे 25 रुपए प्रति घनमीटर बढ़ा दिया है। खेत खदान से रेत का खनन नहीं होगा।
सतह पर जो रेत होगी, उसका उपयोग भूस्वामी कर सकेगा। खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बताया कि अवैध उत्खनन पूरी तरह से खत्म होगा। जिन बंद खदानों से अवैध उत्खनन हो रहा था, उन्हें चि-त कर नीलाम किया जाएगा।
जिले में प्रभारी मंत्रियों को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादलों का अधिकार
कैबिनेट बैठक में प्रभारी मंत्रियों को पॉवरफुल बनाने पर सहमति बन गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभारी मंत्री जिलों में ध्यान दें। विधायकों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए परेशान न होना पड़े। इसके लिए अधिकार बढ़ाए जा रहे हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के अधिकारियों-कर्मचारियों के जिले के भीतर तबादले का अधिकार प्रभारी मंत्री के पास रहेगा।
16 साल बाद जिला सरकार की वापसी
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा प्रदेश में अधिकारों का विकेंद्रीकरण करने के लिए लागू की गई जिला सरकार की अवधारणा 16 साल बाद फिर जमीन पर उतरेगी। जिला योजना समितियों को पॉवरफुल बनाया जाएगा। इन्हें वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारी दिए जाएंगे। करोड़ों रुपए के निर्माण कार्यों के ठेके देने का फैसला जिलों में ही हो जाएगा। कामों की निगरानी का अधिकार भी समिति को होगा। समिति में प्रभारी मंत्री के साथ स्थानीय सांसद, विधायक, जिला पंचायत के अध्यक्ष सहित अन्य जनप्रतिनिधि रहेंगे।