श्रीलंका में टला नहीं है खतरा, पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने चेताया, ‘और हो सकते हैं हमले’
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कोलंबो : श्रीलंका में रविवार को ईस्टर के मौके पर गिरजाघरों और पांच सितारा होटलों में हुए बम धमाकों में मरने वालों की संख्या पूर्व में जहां 359 बताई गई थी, वहीं गुरुवार को इसमें संशोधन करते हुए मृतकों की संख्या 253 बताई गई। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी। स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉक्टर अनिल जयसिंघे ने बताया कि पहले वाली संख्या गिनती में गलती होने की वजह से बताई गई थी।
श्रीलंका हमलों में जान गंवाने वालों में 40 विदेशी नागरिक बताए गए हैं, जिनमें से 11 भारतीय हैं। सरकार ने इसके पीछे नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) का हाथ बताया है, जबकि घटना के तीन दिन बाद मंगलवार को इस्लामिक स्टेट ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस बीच, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि देश में ऐसे हमलों का खतरा अभी टला नहीं है। प्रशासन की नजर फिलहाल आतंकियों के ‘स्लीपर सेल’ पर है, जो वर्तमान में सक्रिय नहीं होते, लेकिन भविष्य में ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए तैयार रहते हैं।
पीएम ने बम विस्फोटों को लेकर खुफिया सूचना होने के बावजूद इसे रोक पाने में विफलता के लिए एक बार फिर माफी मांगी तो रक्षा सचिव हेमसिरी फर्नांडो ने इस मसले को लेकर गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, जांच में जुटे अधिकारियों ने तीन महिलाओं सहित छह संदिग्धों के स्केच जारी कर लोगों से उनके बारे में जानकारी मांगी है।
इस बीच श्रीलंका के फील्ड मार्शल सरत फोनसेका ने कहा कि संभव है कि ईस्टर पर रविवार के विस्फोटों के हमलावरों ने सात-आठ वर्षों तक साजिश की गई हो। उन्होंने इस क्रम में 2009 में मारे जा चुके लिट्टे प्रमुख वी. प्रभाकरण का भी जिक्र किया और कहा कि संभव है, उस जैसी क्षमता वाले किसी व्यक्ति ने इसका नेतृत्व किया होगा। इस क्रम में उन्होंने यह भी कहा कि लिट्टे का मकसद जहां राजनीतिक था, वहीं एनटीजे धार्मिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।