वित्त मामलों की स्थायी समिति में फिर टला नोटबंदी का मामला
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लोकसभा चुनावों की आहट पाते ही एक बार फिर विपक्षी पार्टियां नोटबंदी का मामला गरमाने की कोशिश में लग गईं हैं. स्टैंडिंग कमिटी ऑन फाईनांस यानि वित्त मामलों की संसद की स्थायी समिति में बुधवार को एक बार फिर ये मुद्दा उठा. सूत्रों के मुताबिक टीएमसी सांसद दिनेश त्रिवेदी ने मसला उठाया. दिनेश त्रिवेदी ने अध्यक्ष विरप्पा मोईली को कहा कि नोटबंदी की ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए. लेकिन यह बात बीजेपी के सदस्यों को कुछ हजम नहीं हुई.
सूत्रों ने बताया कि बिना दिनेश त्रिवेदी की बात काटते हुई समिति के सदस्य और बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने आनन फानन में अध्यक्ष मोईली को याद दिलाया कि तीन चार महीने पहले एक औपचारिक सहमति बनी थी कि ड्राफ्ट रिपोर्ट बनाने से पहले हर मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी जाएगी की नोटबंदी का क्या असर रहा. उन रिपोर्टों को देखने के बाद ही रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा. मोईली ने इस दलील को मान लिया.
सूत्र बताते हैं कि इसके अलावा 6-7 नए सदस्यों ने भी आनन फानन में ड्राफ्ट रिपोर्ट बनाने में जल्दबाजी नहीं दिखाने की बात की. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी सांसदों राजीव चंद्रशेखर, हरिश द्विवेदी जिनकी बुधवार को पहली बैठक थी, उन्होंने अध्यक्ष वीरप्पा मोईली से कहा कि वो अभी इस विषय पर कुछ नहीं जानते इसलिए उन्हें भी थोड़ा वक्त चाहिए ताकि वे नोटबंदी जैसे अहम मसले पर बनने वाली रिपोर्ट में अपना भी योगदान दे सकें.
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वीरप्पा मोईली ने उनकी राय मान ली. तय यह हुआ कि तमाम मंत्रालय से नोटबंदी के असर पर रिपोर्ट मांगी जाएगी. रिपोर्ट आने के बाद ही अंतिम रिपोर्ट बनाने पर विचार होगा. तब तक नए सांसद भी इस विषय पर चल रही जांच में जानकारी पा लेंगे.
साफ है कि इन रिपोर्टों को आते आते चंद महीने और निकल जाएगे और तय ये भी है कि लोकसभा चुनावों तक शायद ही यह रिपोर्ट बन पाए. बुधवार के हंगामें ने कम से कम ये साफ हो गया कि इस नोटबंदी जैसे मुद्दे पर चुनावों तक मोदी सरकार की फजीहत नहीं होने वाली.