ड्रैगन ने निभाई दोस्ती: ‘ग्रे लिस्ट’ मामले में पाकिस्तान को मिला चीन का संग
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बीजिंग । चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तानी सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ उसके अथक प्रयासों और बलिदानों को पूर्ण मान्यता देने का आग्रह किया है। चीन की यह प्रतिक्रिया उस वक्त आई है, जब फाइनेंशल ऐक्शन टास्क फोर्स ने आतंक की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने की वजह से पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ यानी संदिग्धों की सूची में डाल दिया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा है कि आतंकवाद से निपटने में पाकिस्तान के प्रयासों की अनदेखाी नहीं की जा सकती है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान ने सदैव अंतरराष्ट्रीय समुदाय का साथ दिया है। प्रवक्ता ने आगे कहा है कि हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने आतंकवादी वित्त पोषण को रोकने में सक्रिय पहल की है। इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति भी हुई है।
चीनी प्रवक्ता ने कहा है कि पाकिस्तान की इस पहल और बलिदान का अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी स्वागत होना चाहिए। चीन ने जाेर देकर कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की सरकार और जनता दोनों ने बलिदान दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर पाक पर भरोसा करना चाहिए।
बता दें कि पेरिस स्थित अंतरसरकारी संस्था फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स ( एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को आतंक की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने की वजह से ‘ग्रे लिस्ट’ यानी संदिग्धों की सूची में डाल दिया है। हालांकि, पाकिस्तान एक बार फिर ब्लैक लिस्ट होने से बच गया है, जो उसके लिए थोड़ी राहत की बात है। ग्रे लिस्ट में जाने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं इसका पाकिस्तान में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
हालांकि, पाकिस्तान ने पूरा कूटनीतिक प्रयास किया था कि 37 सदस्य देशों वाले इस निकाय का फैसला उसके खिलाफ न जाए पर वह इसमें नाकाम रहा। यह फैसला बुधवार देर रात पैरिस में एफएटीएफ के प्लेनरी सेशन में लिया गया था, जहां पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व उसके वित्त मंत्री शमशाद अख्तर कर रहे थे। इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहम्मद आजम ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि एफएटीएफ पर अमेरिका और भारत का अत्यधिक दबाव है। आजम ने आगे कहा था कि इन देशों ने चीन और सऊदी अरब पर भी दबाव डाला है कि वह पाकिस्तान की मदद न करें और न ही इस मामले में कोई हस्तक्षेप करें।
क्या है एफएटीएफ
फाइनेंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) पेरिस स्थित अंतरसरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानूनी आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। यानी आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए काम नहीं करने वाले ‘उच्च खतरे’ वाले देशों की सूची तैयार करना है। इसका गठन 1989 में किया गया था। एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है। सूची में शामिल देशों के साथ कारोबार करने वाले बैंक और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां उसके साथ वित्तीय संबंध रखने पर पुनर्विचार कर सकती हैं ।