अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार से भारत को ऐसे मिलेगा फायदा
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बीजिंग । अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार की स्थिति से भारत को फायदा मिलता दिख रहा है। चीन ने भारत समेत पांच एशियाई देशों से सोयाबीन के आयात को शुल्क मुक्त करने का एलान किया है। नई दरें पहली जुलाई से प्रभावी होंगी। अभी चीन के लिए अमेरिका सोयाबीन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
आधिकारिक मीडिया के अनुसार, चीन की कैबिनेट ने भारत, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, लाओस और श्रीलंका से आयातित सोयाबीन पर शुल्क को तीन फीसद से घटाकर शून्य करने का एलान किया है। इन देशों से आयात होने वाले रसायन, कृषि उत्पाद, चिकित्सा उपकरण, कपड़े, स्टील व एल्यूमीनियम उत्पादों पर भी शुल्क में कटौती की जाएगी। इन पांचों से देशों से आयात होने वाली सभी वस्तुओं पर एशिया-प्रशांत व्यापार समझौते के दूसरे संशोधन के अनुरूप दरें प्रभावी होंगी। उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना है कि इससे तिलहन खली का आयात बढ़ाने में मदद मिलेगी। संगठन ने आयात को लेकर चीन के नियमों में ढील की उम्मीद भी जताई। ऐसा होने से तिलहन खली का निर्यात चार से पांच लाख टन तक पहुंच सकता है।
चीन की ओर से आयात शुल्क घटाने का यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जबकि अमेरिका के साथ व्यापार के मोर्चे पर उसकी तनातनी चल रही है। चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में अमेरिका का व्यापार घाटा 375 अरब डॉलर का है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन पर लगातार इस बात को लेकर दबाव बना रहे हैं। ट्रंप ने चीन से आयातित कई वस्तुओं पर भारी-भरकम आयात शुल्क का एलान कर दिया है। जवाबी कार्रवाई में चीन ने भी अमेरिका से आयात होने वाले कई उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है।
दूसरी ओर, भारत भी चीन पर भारतीय उत्पादों के लिए बाजार खोलने का लगातार दबाव बना रहा है। भारत ने विशेष रूप से आइटी और फार्मास्यूटिकल के लिए बाजार खोलने की अपील की है। अप्रैल में भारत-चीन के बीच हुई रणनीति वार्ता में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारत से सोयाबीन और चीनी के आयात पर भी पक्ष रखा था। वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद से दोनों देशों के बीच भारत से चीनी, चावल जैसे कृषि उत्पादों और फार्मा उत्पादों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई दौर की वार्ता हुई है।
चीन के निवेश पर प्रतिबंध की खबरों का अमेरिका ने किया खंडन
अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन ने उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें दावा किया गया था कि अमेरिका अपनी कंपनियों में चीन के निवेश को प्रतिबंधित करने की तैयारी कर रहा है। खबरों में यह भी दावा किया गया था कि अमेरिका से चीन को होने वाली प्रौद्योगिकी निर्यात को भी रोका जाएगा। न्यूचिन ने इन खबरों को झूठा और बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि खबर फैलाने वाला मामले से पूरी तरह परिचित नहीं है। कुछ कदम उठाए जाएंगे, लेकिन वे केवल चीन के लिए नहीं बल्कि हर उस देश के लिए होंगे जो हमारी टेक्नोलॉजी को चुराने का प्रयास कर रहे हैं।
ट्रंप ने हर्ले-डेविडसन की आलोचना की
हर्ले-डेविडसन की मोटरसाइकिल पर भारत में भारी आयात शुल्क के मामले में कंपनी का पक्ष लेने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब कंपनी की अलोचना की है। कंपनी ने अमेरिका के जवाब में आयात शुल्क बढ़ाने के यूरोपीय संघ के फैसलों से बचने के लिए अपने कुछ कारखाने अमेरिका से बाहर स्थापित करने की योजना बनाई है। अभी भारत, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया में कंपनी के कारखाने हैं। कंपनी ने अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन में फाइलिंग में अपने कदम की जानकारी दी। इस पर ट्रंप ने कहा, ‘चौंकाने वाली बात है कि तमाम कंपनियों में से हर्ले-डेविडसन समर्पण करने वाली पहली कंपनी बन जाएगी।’