बैंकों पर घाटे से बड़ी प्रावधान की मार, फिच ने घटाया एक्सिस बैंक का आउटलुक
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नई दिल्ली । इस वर्ष मार्च में खत्म वित्त वर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने फंसे कर्ज (एनपीए) के विरुद्ध 1.20 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक यह रकम पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश के सभी 21 सार्वजनिक बैंकों के कुल घाटे का डेढ़ गुना ज्यादा है। पिछले एक दशक में ऐसा पहली बार हुआ है कि बैंकों ने एनपीए के मद में इतनी बड़ी राशि के प्रावधान के बावजूद इतना ज्यादा घाटा उठाया हो।
पिछले वर्ष मार्च में खत्म वित्त वर्ष के दौरान भी देश के सभी 21 सार्वजनिक बैंकों ने एनपीए के मद में कुल मिलाकर 81,683 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। इसके बावजूद वे वित्त वर्ष 2017 के आखिर तक संयुक्त रूप से लाभ में ही रहे। लेकिन पिछले वित्त वर्ष (2017-18) के आखिर में इतने बड़े प्रावधान के बावजूद उन्हें संयुक्त रूप से 85,370 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा।
रेटिंग एजेंसी इक्रा द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने एनपीए के मद में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 40,196 करोड़ रुपये का प्रावधान किया, जो कुल प्रावधान के 25 फीसद के बराबर है। उसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक (10,307 करोड़ रुपये), बैंक ऑफ इंडिया (9,093 करोड़ रुपये), केनरा बैंक (8,310 करोड़ रुपये), पंजाब नेशनल बैंक (7,407 करोड़ रुपये), आइडीबीआइ बैंक (6,632 करोड़ रुपये) और बैंक ऑफ बड़ौदा (4,948 करोड़ रुपये) एनपीए के मद में प्रावधान में सबसे आगे रहे। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2013-14 के आखिर के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष के आखिर तक एनपीए के मद में बैंकों का प्रावधान चार गुना हो गया है।
फिच ने एक्सिस बैंक का आउटलुक घटाया: ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने आइसीआइसीआइ बैंक और एक्सिस बैंक के जोखिम नियंत्रण तंत्र को कमजोर बताया है। एजेंसी ने इसी आधार पर एक्सिस बैंक के आउटलुक को ‘नकारात्मक’ श्रेणी में डाल दिया है। अपने नोट में एजेंसी ने कहा कि आइसीआइसीआइ बैंक में भाई-भतीजावाद और सेवा के बदले लाभ के हालिया मामले ने भी बैंक के जोखिम नियंत्रण तंत्र की कमजोरी को उजागर किया है। फिच ने आइसीआइसीआइ की सपोर्ट रेटिंग घटा दी है।