हैप्पी बर्थडे अलका याग्निक : राज कपूर से दस साल की उम्र में मुलाकात बना कैरियर का टर्निंग प्वाइंट
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अपनी जादुई आवाज से दिलों पर छानेवाली अलका याग्निक आज अपना 52वां जन्मदिन मना रही हैं. अलका याग्निक को भारत की लीडिंग सिंगर्स में से एक माना जाता है जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अपनी संगीत का जादू बिखेरा. अलका का जन्म कोलकाता में 20 मार्च 1966 को हुआ था. वे गुजराती-हिंदू परिवार से ताल्लुक रखती हैं.
अलका याग्निक की मां भी एक क्लासिकल सिंगर थीं, ऐसे में बचपन से ही उनका रुझान संगीत की ओर था और उन्होंने मां से ही संगीत सीखना शुरू कर दिया था. महज 6 साल की उम्र में उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था और वे आकाशवाणी कोलकाता में गाने लगी थीं. जानें ये खास बातें…
एक सफर की शुरुआत
अलका याग्निक 10 साल की उम्र में अपनी मां के साथ मुंबई आ गई थी. यहां उनकी मुलाकात फिल्ममेकर राज कपूर से हुई. राज कपूर को उनकी आवाज बहुत पसंद आई और उन्हें लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल से मिलवाया. उन्होंने बतौर प्लेबैक सिंगर अपने करियर की शुरुआत 1979 में आई फिल्म ‘पायल की झंकार’ से की. अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘लावारिस’ में अलका का गाया गाना ‘मेरे अंगने’ जबरदस्त हिट रहा. 1988 में आई फिल्म ‘तेजाब’ के गाने ‘एक दो तीन’ के बाद अलका को खास पहचान मिली. अलका ने अब तक करीब 700 फिल्मों में 20 हजार से ज्यादा गाने गाये हैं.
पति से अलग रह रही हैं
अलका ने साल 1989 में शिलांग बेस्ड बिजनेसमैन नीरज कपूर से शादी की थी. हालांकि वे पिछले 25 साल से अपने पति से अलग रह रही हैं. दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है बल्कि अपना-अपना काम है. दोनों डिफरेंट फील्ड से हैं इसलिए दोनों ने यह फैसला किया कि अलग-अलग रहकर अपने काम पर फोकस करेंगे. दोनों के बीच रिलेशनशिप कायम है. उनकी एक ही बेटी सायशा हैं.
इस गाने पर मच गया था विवाद
अलका याग्निक ने हिंदी के अलावा तमाम भारतीय भाषाओं में कई हिट गाने दिए हैं. ‘खलनायक’ (1993) के उनके गाये गीत ‘चोली के पीछे क्या है’ पर बवाल मचा गया था. इस गाने के वजह से उन्हें विवाद का सामना करना पड़ा था. कई पॉलिटिकल पार्टियों ने इस गीत के खिलाफ आंदोलन चला कर इसका विरोध किया था. इस गाने को उन्होंने इला अरुण के साथ मिलकर गाया था.
संगीत से दूर हो गई हैं
अलका याग्निक पिछले कुछ समय से गाना नहीं गा रही हैं. इसकी वजह वे आज के संगीत में बदलाव को मानती हैं. अलका का मानना है कि बॉलीवुड में गानों की मधुरता खो गई है और उसकी जगह फूहड़ता ने ले ली है. उनका कहना है कि वह अच्छे गाने गाना चाहती हैं ना कि फूहड़.