भोपाल में कैंसर सेल को खत्म करने वाला ‘डी 29 वायरस’ खोजा गया, हुआ सफल प्रयोग
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भोपाल के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) का प्रयोग यदि पूरी तरह से सफल हुआ तो कैंसर को जड़ से मात दी जा सकेगी। यहां रिसर्च में डी-29 वायरस से कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने का प्रयोग सफल रहा है।
अब चुनौती ये है कि इस वायरस को शरीर में कैंसर की कोशिकाओं तक कैसे पहुंचाया जाए। इसमें सफलता मिली तो यह रिसर्च वरदान साबित होगी। रिसर्च स्कॉलर सौम्या कामिला के ‘अंडरस्टेंडिंग द मॉलिक्यूलर बेसिस ऑफ होलिनमेडिटेडेट बैक्टेरियल सेल डेथ रिसर्च” में इस वायरस से कैंसर सेल को पूरी तरह से खत्म करने का दावा किया गया है। रिसर्च को डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी नई दिल्ली से अनुमोदन मिल चुका है। यह रिसर्च फेडरेशन ऑफ यूरोपियन बायोकेमिकल सोसाइटी साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित भी हो चुकी है।
कीमोथैरेपी से ज्यादा कारगर
वायरस के जरिए कैंसर का इलाज कीमोथैरपी से ज्यादा कारगर होगा। कीमोथैरेपी के कई साइड इफेक्ट हैं, जिनके कारण शरीर को नुकसान होता है। वायरस तकनीक के जरिए ब्रेस्ट कैंसर, ओरल कैंसर और फेफड़े के कैंसर समेत 100 तरह की कैंसर जनित कोशिकाओं को खत्म किया जा सकेगा।
ऐसे काम करती है तकनीक
वायरस डी 29 में कुछ ऐसे प्रोटीन हैं,जो कैंसर सेल के भीतर होल बनाकर उसकी डीएनए चेन को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। प्रयोग में होलिन प्रोटीन के जरिए कैंसर सेल के अंदर एक होल बनाया गया। इससे कैंसर सेल को ऊर्जा देने वाला माइट्रोकॉन्ड्रिया खत्म किया गया। अन्य प्रोटीन एंडोलाइसिन के जरिए कैंसर सेल की ऊपरी
सतह को खत्म करने में सफलता मिली। इस तकनीक से कई तरह के बैक्टेरियल इंफेक्शन को रोकने में भी मदद मिली है।
एटीसीसी से मिली कैंसर सेल्स
रिसर्च में उपयोग में ली गई कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को अमेरिका की प्रख्यात स्टेम सेल यूनिट अमेरिकन टाइप सेल
कल्चर (एटीसीसी) लेब्रोटरी से लिया गया। आइसर के बायोलॉजिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. विकास जैन बताते हैं कैंसर प्रभावित कोशिकाओं पर वायरस डी 29 का सफल प्रयोग स्तनधारी जीवों व ह्यूमन कैंसर ग्रसित सेल पर किया गया है। यह वायरस मुक्त अवस्था में मिट्टी में मिलता है।
यह है आगे की रणनीति
शरीर के अंदर कैंसर ग्रसित सेल्स तक वायरस कैसे और किस रूप में पहुंचाया जाए इस पर काम किया जा रहा है। बता दें कि किसी वायरस को शरीर की कैंसर कोशिका तक पहुंचाना अब भी एक बड़ी चुनौती है। इस प्रयोग को अब चूहों पर आजमाया जाएगा।
रिसर्च पर किया फोकस
डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी नई दिल्ली से परमिशन मिलते ही हमने रिसर्च पर फोकस किया। बड़ी कामयाबी तब लगी जब साइंटिफिक जर्नल ने सहमति जताई – डॉ. विकास जैन, प्रोफेसर, बायोलॉजिकल साइंस, आइसर
एक उम्मीद जागी है
कैंसर को मात देने में यह रिसर्च एक बड़ी सफलता मानी जाएगी। रिसर्च से कैंसर के अस्तित्व को मिटाने की एक और उम्मीद जागी है – डॉ. श्याम अग्रवाल, डायरेक्टर, नवोदय कैंसर हॉस्पिटल
चुनौतीपूर्ण काम है
वायरस के जरिए कैंसर सेल को खत्म करना चुनौतीपूर्ण है। लेकिन, यह प्रयोग मानवता के लिए बड़ी सफलता साबित हो सकता है – डॉ. मनोज पांडे, प्रोफेसर, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, बनारस हिंदी विश्वविद्यालय