पाकिस्तान पर मंडरा रहा ये बड़ा खतरा, बढ़ सकता है अमेरिका का गुस्सा

मौजूदा समय में पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर चौतरफा घिरा हुआ है। वह लगातार अमेरिका के निशाने पर है। कई तरह की आर्थिक मदद पर रोक लगाने के बावजूद भी ट्रंप प्रशासन ने चेताया है कि अगर वह तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठनों का खात्मा नहीं करता है तो उसे कुछ और कड़े फैसलों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं इस बीच आतंकी संगठन आईएस के तेजी से पांव पसारने पर पाकिस्तान और भी अधिक मुश्किल में पड़ सकता है।
तेजी से पांव पसार रहा आईएस
एक थिंक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आतंकी संगठन आईएस पाकिस्तान के समक्ष एक बड़ा खतरा बन रहा है और बेहद खतरनाक ढंग से देश में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। पाकिस्तान अक्सर इन दावों को खारिज करता रहा है, मगर आईएस ने बीते कुछ वर्षों में बलूचिस्तान में कई हमलों को अंजाम दिया है।
इन जगहों पर है ज्यादा सक्रिय
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज (पीआईपीएस) की सुरक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, आईएस विशेष तौर पर उत्तरी सिंध और बलूचिस्तान में सक्रिय है और वह पिछले वर्ष चीन के दो नागरिकों के अपहरण तथा हत्या की घटना में भी शामिल था।
रिपोर्ट में सुरक्षा विश्लेषण के निष्कर्षों को पीआईपीएस ने साझा किया है। कहा गया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जमात-उल-अहरर और अन्य ने इसी तरह के लक्ष्यों के साथ 58 फीसदी हमलों को अंजाम दिया। जबकि 37 फीसदी और पांच फीसदी हमलों को विद्रोहियों और हिंसक जातीय समूहों ने अंजाम दिया।
पिछले साल बढ़ें आतंकी हमले
रिपोर्ट में बलूचिस्तान और उत्तरी सिंध में आईएस की बढ़ती मौजूदगी का जिक्र किया गया है। कहा गया है कि उसने छह खतरनाक हमलों में 153 लोगों की हत्या की है। एक वर्ष पहले की तुलना में वर्ष 2017 में पाकिस्तान में 370 आतंकी हमले हुए, उसमें 815 लोगों की मौत हो गई जबकि 1,736 लोग घायल हो गए।
आतंकवाद पर गुस्से में अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट के बाद से पाकिस्तान के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है। ट्रंप ने नए साल के मौके पर ट्वीट कर पाकिस्तान को लताड़ते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर सालों से अमेरिका को धोखा देने का आरोप लगाया था। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाने को लेकर भी चेताया। मगर अमेरिकी प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद के बाद अब सभी तरह की सुरक्षा मदद पर रोक लगाने का भी एलान कर दिया है। वहीं जल्द ही कई और कड़े फैसले लेने के भी संकेत दिए हैं। अमेरिका ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा है कि अगर पाकिस्तान का रवैया ऐसे ही ढीला-ढाला रहा तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए सभी विकल्प मौजूद हैं।
सुधरने के लिए दिया अल्टीमेटम
अमेरिका ने पाकिस्तान को सुधरने के लिए 15 जनवरी तक का वक्त दिया है। ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को 27 आतंकियों की लिस्ट सौंपते हुए कहा है कि इन आतंकियों को मारो या गिरफ्तार कर हमें सौंप दो। ये सभी 27 आतंकी हक्कानी नेटवर्क के हैं। हक्कानी नेटवर्क के साथ-साथ लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जमात उद दावा जैसे आतंकी संगठन भी ट्रंप प्रशासन की रडार पर हैं। पाकिस्तान के पत्रकार सैयद तलत हुसैन ने अपने वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से ये जानकारी दी। उनके ट्वीट के मुताबिक पाक के राजनयिक सूत्रों का कहना है कि आतंकियों पर इस बड़ी कार्रवाई के लिए ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के साथ कोई पेपर वर्क नहीं किया है।
यह संदेश देने की है कोशिश
इस मामले पर सीआईए प्रमुख माइक पॉम्पियो ने कहा है कि हमने पाकिस्तान को यह संदेश देने की कोशिश की है कि अब पहले जैसा नहीं चलेगा। इसीलिए मदद रोककर उन्हें (पाक को) एक मौका दिया गया। अगर वे खुद को बदल लेते हैं और समस्या के समाधान के लिए आगे आते हैं तो अमेरिका दोबारा पाकिस्तान के साथ एक साझेदार के तौर पर संबंध बढ़ाने को तैयार है, लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो हम अमेरिका की सुरक्षा करने जा रहे हैं।
पाक सरकार ने किया बचाव
पाकिस्तान सरकार ने अपने बचाव में कहा है कि अमेरिका, अफगानिस्तान में अपनी विफलता का ठीकरा उसके सिर फोड़ रहा है और उसे बलि का बकरा बना रहा है। वहीं पाकिस्तान ने अमेरिका पर ‘भारत की भाषा’ बोलने का आरोप भी लगाया है। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि पिछले 16 सालों में अलकायदा के खिलाफ जंग में उसने अमेरिका को हर तरह की मदद मुहैया कराई, लेकिन इसके बदले पाकिस्तान को अमेरिका की ‘आलोचना और अविश्वास’ के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला। वहीं यह भी दावा किया कि वह अपने दम पर आतंकवाद के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है।