AAP: 10 साल पुरानी पार्टी अब पूरे देश में बनी चर्चा का विषय ,दो राज्यों में सरकार, 163 विधायक, 10 सांसद
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दिल्ली में सिसासी बवाल मचा हुआ है। उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार कर लिया है। सोमवार को उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। पूरे दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता इस गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। महज 10 साल पुरानी पार्टी अब पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आम आदमी पार्टी की पूरी कहानी क्या है? कैसे इसकी शुरुआत हुई और कैसे पार्टी का दायरा बढ़ा?
1. अन्ना हजारे का आंदोलन और फिर पड़ी ‘आप’ की नींव
2011 से समाजसेवी अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल को लेकर आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन में आईआरएस ऑफिसर अरविंद केजरीवाल, पूर्व पत्रकार मनीष सिसोदिया समेत अलग-अलग क्षेत्र से जुड़ी कई हस्तियों ने शिरकत की। आंदोलन के दौरान कभी भी राजनीति में कदम न रखने की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल ने आंदोलन खत्म होते-होते नई राजनीतिक पार्टी बनाने का एलान कर दिया। 26 नवंबर 2012 को केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव समेत कई लोगों ने मिलकर ‘आम आदमी पार्टी’ की स्थापना की।
2. एक साल के अंदर दिल्ली में सरकार बना ली
नई पार्टी के गठन के एक साल के अंदर ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बना ली। 2013 विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 28 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनाव परिणाम में कांग्रेस और बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियों को हराकर आप ने हर किसी को हैरान कर दिया। केजरीवाल ने तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को रिकॉर्ड वोटों से हराया। इस चुनाव में कांग्रेस को महज आठ सीटों पर ही जीत मिली। ऐसे में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए आम आदमी पार्टी को बिना शर्त समर्थन देने का फैसला किया। इससे आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया।
3. फिर कांग्रेस ने हाथ खींच लिया और गिर गई सरकार
कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का सफर ज्यादा दिन तक नहीं चला। 49 दिन बाद ही अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ नाता तोड़ लिया। एक साल तक इस केंद्र शासित राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा रहा।
4. लोकसभा में दमखम के साथ उतरे, 400 में से चार प्रत्याशी ही जीत पाए चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने देशभर में अपने 400 उम्मीदवार उतार दिए। हालांकि, पंजाब को छोड़कर AAP को कहीं सफलता नहीं मिली। पंजाब से आम आदमी पार्टी के चार उम्मीदवार लोकसभा पहुंचने में सफल हो गए। इससे पंजाब में पार्टी की राह खुल गई।
5. 2015 में पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार, पंजाब में भी कमाल किया
2015 में दिल्ली में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में बड़ी ताकत से वापसी की। पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया। पार्टी ने कांग्रेस के साथ ही बीजेपी को भी तगड़ा झटका दिया। सत्ता में आते ही केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों को लिए बिजली और पानी को फ्री कर दिया। इसी तरह 2017 में पंजाब के अंदर आम आदमी पार्टी ने 20 सीटों पर जीत हासिल की। ये दिल्ली के बाहर आम आदमी पार्टी की दूसरी सबसे बड़ी जीत थी। यहां आप मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई।
6. कद बढ़ा तो पार्टी में फूट भी शुरू हो गई
जैसे-जैसे आम आदमी पार्टी का कद बढ़ता गया, वैसे-पैसे पार्टी में आंतरिक लड़ाई तेज हो गई। 2015 में मिली जीत के बाद आम आदमी पार्टी में फूट शुरू हो गई। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने केजरीवाल पर ‘सुप्रीम लीडर’ होने का आरोप लगाया। प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और अजीत झा जैसे नेता को पार्टी से किनारे कर दिया गया। इसके बाद कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल के रिश्ते में भी मतभेद उभरने लगे थे। 2018 में मतभेद इतने बढ़ गए कि कुमार विश्वास ने भी पार्टी छोड़ दी।
7. 2019 लोकसभा में नहीं चला केजरीवाल का जादू
दिल्ली में भारी बहुमत के साथ सरकार बनाने वाले अरविंद केजरीवाल का 2019 लोकसभा चुनाव में कोई जादू नहीं चला। दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर कब्जा होने के बावजूद पार्टी को लोकसभा की सभी सात सीटों पर बीजेपी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में दिल्ली के बाद पंजाब में भी पार्टी को झटका लगा। पंजाब में 2014 में चार सीटे जीतने वाली पार्टी इस बार महज एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी।
8. 2020 में तीसरी बार सीएम बने केजरीवाल
फ्री बिजली, पानी जैसे तमाम योजनाओं का वादा करके दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने साल 2020 में फिर से दिल्ली में दमदार वापसी की। इस चुनाव में पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती। पिछली बार के मुकाबले सीटें कुछ कम जरूर हुई लेकिन केजरीवाल का जादू फीका नहीं पड़ा। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने कई राज्यों के चुनाव लड़े। हालांकि, कुछ खास फायदा नहीं मिला।
9. पंजाब में बना ली सरकार, गुजरात और गोवा में भी जीतीं सीटें
2012 में शुरू हुई आम आदमी पार्टी महज 10 साल के अंदर देश के कई राज्यों में चुनाव लड़ चुकी थी। 2022 में पांच राज्यों में चुनाव हुए और इनमें से चार में आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में तो आप के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई, लेकिन पंजाब में बड़ी सफलता मिली। यहां आम आदमी पार्टी सरकार बनाने में कामयाब रही। आप को सूबे में 117 में से 92 सीटों पर जीत मिली। इसी तरह गोवा में दो और गुजरात में पांच सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत मिली।
10. राष्ट्रीय पार्टी बन गई, दो राज्यों में सरकार, 163 विधायक और 10 सांसद
आज की तारीख में आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है। दो राज्यों में आप की सरकार है। देशभर में 163 विधायक आम आदमी पार्टी के हैं। 10 राज्यसभा सांसद भी आप के हैं। सभी राज्यों में आम आदमी पार्टी ने अपने संगठन का विस्तार कर लिया है। हाल ही में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी आप ने बीजेपी को हरा दिया है। आम आदमी पार्टी ने 250 में से 134 वार्ड में जीत हासिल की है। अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी का मेयर है। इसके अलावा चंडीगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों के नगर निकाय चुनाव में भी कई सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है।