सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे पर पाक को फिर मिली नाकामयाबी
RAHUL SINGH CHOUDHARY
कश्मीर मुद्दे पर सभी वैश्विक मंचों पर मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान को अभी भी यह बात समझ में नहीं आ सकी है और वह इस मुद्दे को लेकर अभी जिद ठाने हुए है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाने का प्रयास किया। यह बाद दीगर है कि हर बार की तरह इस बार भी उसे नाकामयाबी ही हासिल हुई। केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किये जाने के बाद यह उसकी तीसरी कोशिश थी, जिसमें उसे मुंह की खानी पड़ी।
मौजूदा वक्त में पाकिस्तान के सबसे बड़े समर्थक या यों कहें कि भारत के दुश्मन राष्ट्र चाइना ने कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की मीटिंग बुलाई थी। बताया जाता है कि सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों में से सिर्फ चाइना को छोड़कर चार अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने इस मामले में भारत का साथ दिया। सुरक्षा परिषद की इस मीटिंग के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि विश्व समुदाय के अधिकांश राष्ट्र कश्मीर मुद्दे पर भारत के रवैये को सही मानते हैं और वे इस मसले को लेकर पाकिस्तान द्वारा आये दिन रचे जाने वाले षड्यंत्रों से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं।
पाकिस्तान की हमेशा से यह कोशिश रही है कि कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो जाये और वह इस मामले को लेकर वैश्विक समुदाय को गुमराह करता रहे। यदि यह कहा जाये कि लम्बे वक्त तक वह अपनी इस साजिश में सफल भी रहा तो गलत नहीं होगा, लेकिन भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कूटनीतिक प्रयासों के कारण उसकी यह चालबाजी धरातल पर चली गयी और विश्व के लगभग सभी देश उसकी साजिशों से परिचित होते चले गये।
उधर, वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर भारत समेत पूरे विश्व में अपनी छवि धूमिल होने के बाद चाइना ने एक बार फिर पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे को हवा देनी चाही, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। यह बात जरूर है कि चाइना का साथ मिल जाने के कारण पाकिस्तान कश्मीर को लेकर अपने मंसूबे को हासिल करने के लिए बाज नहीं आयेगा और वह कश्मीर में अशांति पैदा करने की हरसंभव कोशिश करेगा। यह भी हो सकता है कि वह वहां आतंकवादी गतिविधियों को फिर से बढ़ावा देने की कोशिश करे। इसलिए भारत को इस मसले को लेकर अपने कूटनीतिक प्रयास जारी रखने के साथ-साथ कश्मीर में अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी तथा जागरूक रहना पड़ेगा।