बिहार में फिर सवर्ण कार्ड पर दांव लगाने की तैयारी में कांग्रेस, नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा जल्द
नई दिल्ली। राज्यों में संगठनात्मक बदलावों को धीरे-धीरे अमलीजामा पहनाने में जुटी कांग्रेस बिहार के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में सूबे के सामाजिक समीकरणों की सियासी हकीकत को दरकिनार करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। विशेषकर इसलिए भी कि उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में करारी हार के बाद पार्टी नेतृत्व पर जमीनी राजनीतिक धरातल की अनदेखी नहीं करने का गहरा दबाव है। इसके मद्देनजर ही पार्टी बिहार के नए कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति में नया जोखिम उठाने की बजाय अपने परंपरागत सामाजिक आधार को फिर से वापस लाने की रणनीति के तहत सवर्ण चेहरे पर ही दांव लगाने की तैयारी में है।
सलाह-मशविरे का काम पूरा
कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव से पहले राज्यों के संगठन में हो रहे बदलाव के क्रम में बिहार में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की घोषणा अगले चंद दिनों में ही हो जाने के पुख्ता संकेत हैं और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जिन चेहरों को प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा उससे साफ है कि कांग्रेस सूबे में संगठन की कमान एक बार फिर किसी ब्राह्मण को सौंप सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर बिहार के कई वरिष्ठ नेताओं से सलाह-मशविरे का काम पूरा कर लिया है और पार्टी कार्यकर्ताओं की फीडबैक भी ली गई है।
ब्राह्ममण चेहरे पर दांव लगाने की चर्चा
राहुल ने दो दिन पहले ही मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा को बुलाकर बात की थी और उन्होंने नेतृत्व को अपना इस्तीफा सौंप भी दिया था। इसके बाद से ही कांग्रेस के सियासी गलियारों में बिहार कांग्रेस की बागडोर एक बार फिर ब्राह्ममण चेहरे को सौंपने की चर्चा गरम है और इस रेस में सूबे के वरिष्ठ नेता विजय शंकर दुबे के साथ प्रेमचंद्र मिश्र को प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा है।
किशोर कुमार झा का नाम बढ़ाया आगे
पुराने चेहरों के साथ बार-बार किए गए प्रयोग के विफल होने को देखते हुए पार्टी का एक वर्ग कार्यकर्ताओं के बीच के नए चेहरे को आगे लाने की पैरोकारी करते हुए किशोर कुमार झा का नाम भी आगे बढ़ा रहा है। वहीं विधान परिषद चुनाव के ताजा नतीजों के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भूमिहार समुदाय के प्रमुख चेहरों में शामिल अनिल शर्मा भी एक बार फिर अपनी संभावनाओं को सफल बनाने की कसरत में जुट गए हैं।
विजय शंकर दुबे की राह में उनकी बढ़ती उम्र बाधा
प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष मदन मोहन झा मिथिलांचल से ताल्लुक रखते हैं और ऐसे में उत्तर बिहार के किसी नेता को इस बार संगठन की बागडोर सौंपी जा सकती है और इस लिहाज से विजय शंकर दुबे की दावेदारी सबसे प्रबल है। हालांकि कांग्रेस को सूबे में अभी जैसे अत्यधिक सक्रिय कप्तान की जरूरत है उसमें दुबे का उम्रदराज होना उनके आड़े आ सकता है और वे पूर्व में एक बार पार्टी भी बदल चुके हैं।
प्रेमचंद्र मिश्र का राजनीतिक सफर रहा है डांवाडोल
मिथिलांचल से आने वाले प्रेमचंद्र मिश्र उम्र की कसौटी पर तो खरे उतरते दिख रहे हैं मगर उनका डांवाडोल राजनीतिक सफर उनकी राह में चुनौती बन सकता है। मिश्र को चार बार लगातार विधानसभा चुनाव में हार मिली है और वे भी एक बार कांग्रेस छोड़ कर समता पार्टी में गए थे। वहीं कभी पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र के सहयोगी रहे किशोर कुमार झा कांग्रेस के प्रति निष्ठावान तो रहे हैं मगर राजद से गठबंधन की लगातार खिलाफत और बेबाकी उनकी दावेदारी में रोड़ा बन सकती है।
प्रदेश अध्यक्ष बनते-बनते रह गए थे राजेश राम
बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास अब भी सूबे में दलित समुदाय को संगठन की बागडोर सौंपने के पक्षधर बताए जाते हैं और वे विधायक राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की पैरोकारी कर रहे हैं। मालूम हो कि कुछ महीने पहले राजेश राम को अध्यक्ष बनाने की तैयारी लगभग पूरी हो गई थी। इसकी भनक लगते ही सूबे के कई वरिष्ठ नेताओं ने हाईकमान से गंभीर एतराज जताया तब राहुल गांधी ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए नियुक्ति का एलान रोक दिया था मगर प्रभारी दास अब भी राजेश राम के नाम को आगे बढ़ाने में जुटे हैं।